Chaitra Navratri Ashtami Or Ram navami: चैत्र नवरात्रि पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। इसमें 9 दिन तक माता दुर्गा की पूजा की जाती है और कन्या पूजा के साथ ही यह व्रत और नवदुर्गा पूजा उत्सव संपन्न होता है। कुछ लोग कन्या पूजन अष्टमी को तो कुछ लोग नवमी या रामनवमी को करते हैं। ज्योतिषी नीतिका शर्मा से आइये जानते हैं कन्या पूजा का महत्व और कन्या पूजा शुभ मुहूर्त क्या है (Kanya Pujan Muhurat)
अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार इस साल नवरात्रि 8 दिन की है, चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू हुई है, इसका समापन 6 अप्रैल को हो रहा है। इस दौरान अलग-अलग दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जा रही है। तमाम लोग नौ दिन व्रत रख रहे हैं तो कुछ लोग पहले और आठवें दिन व्रत रखते हैं। बाद में अष्टमी या नवमी को कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर कन्या पूजा की जाती है और व्रत पूरा करते हैं।
मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि में कन्याओं की पूजा कर भोजन कराने से घर में सुख, शांति और सम्पन्नता आती है। कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना आवश्यक होता है। इस बीच यदि कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हो तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल को रात 08:12 बजे से शुरू हो रही है। यह तिथि 5 अप्रैल को रात 07.26 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में नवरात्र की अष्टमी तिथि का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन कन्या पूजन अभिजित मुहूर्त में 11:59 से लेकर 12:49 तक है।
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ज्योतिषाचार्या के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल को रात 07.26 बजे से शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 6 अप्रैल को रात 07.22 बजे होगा। ऐसे में नवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन कन्या पूजन अभिजित मुहूर्त में 11:58 से लेकर 12:49 तक सकते है।
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ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है। आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इस दौरान 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराना चाहिए, इससे हर तरह के दोष खत्म होते हैं। आइये जानते हैं कन्या कन्या पूजा और भोजन से पहले क्या करें
1. कन्याओं को भोजन कराने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं।
2. साथ ही नवरात्रि का हवन करें (कई जगहों पर अष्टमी को ही हवन कर लेते हैं तो कुछ जगह नवमी को हवन करते हैं)।
3. इसके बाद कन्या पूजन और भोज कराएं और ऐसा न कर पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने बताया कि कन्या पूजन के दिन कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए। आइये जानते हैं ..
1.सबसे पहले घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करें। मान्यता है कि इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं।
2. इसके बाद स्वच्छ जल से घर आईं कन्याओं को साफ आसन पर बैठाकर पैर धोएं। मान्यता है कि इससे भक्त के पापों का नाश होता है।
3. अब सारी कन्याओं के माथे पर कुमकुम का टीका लगाएं और कलावा बांधें।
4. इसके बाद सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे भक्त की तरक्की होती है।
5. आशीर्वाद लेने के बाद भोजन के लिए आमंत्रित करें और कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्न का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें,फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसें। वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है। लेकिन अगर आपका सामर्थ्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं।
6. भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अवश्य दें। क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है।
7. विदा करते समय कुछ गिफ्ट दे सकते हैं तो जरूर दें।
Updated on:
06 Apr 2025 10:53 am
Published on:
04 Apr 2025 08:11 pm