
बांग्लादेश में अस्थिरता का माहौल (फोटो-IANS)
Bangladesh politics: बांग्लादेश में सत्ता पर काबिज होने के लिए सिर-फुटव्वल का दौर शुरू हो गया है। जिन छात्र नेताओं के साथ मिलकर जमात ए इस्लामी और पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशलनिस्ट पार्टी (BNP) ने शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट किया था। वही छात्र नेता अब इन पर चुनाव सुधार उपायों को रोकने और साल 2026 के फरवरी में होने वाले चुनावों में देरी करने की साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं।
छात्र नेताओं की पार्टी NCP के संयोजक नाहिद इस्लाम ने राजधानी ढाका में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीएनपी ने सुधार के प्रमुख मुद्दों पर 'असहमति का नोट' जमा कर देश के राष्ट्रीय सहमति आयोग का विरोध किया है। इससे जनता और पार्टी के भीतर ही सुधार के प्रति बीएनपी की प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा हो रहा है। जमात ए इस्लामी के नेताओं ने भी ऐसे काम किए हैं, जिससे चुनाव की प्रक्रिया स्थगित हो सके। नाहिद ने कहा कि एक पार्टी सुधारों में बाधा डाल रही है, जबकि दूसरी शायद चुनाव स्थगित करने की कोशिश कर रही है।
NCP के नेता ने कहा कि चर्चा के मुख्य मुद्दे और मुख्य बिंदु ये हैं कि चार्टर में कौन से सुधार शामिल किए जाएंगे, कौन से प्रस्ताव रखे जाएंगे, उनका कानूनी आधार क्या होगा और क्या मुहम्मद यूनुस कार्यान्वयन आदेश जारी करेंगे। अगर इन मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो जनमत संग्रह चुनाव के दिन या उससे भी पहले हो सकता है। हम चाहते हैं कि फरवरी में होने वाले चुनाव निर्धारित समय पर हों। उन्होंने अंतरिम सरकार से जुलाई चार्टर को लागू करने के लिए एक कानूनी ढांचे की मांग भी की।
NCP के एक और नेता नसीरुद्दीन पटवारी ने कहा कि जमात और BNP देश को अनिश्चितता की ओर धकेल रही है। जमात ने संसद के निचले सदन में आनुपातिक प्रतिनिधित्व को लेकर और बीएनपी ने जुलाई चार्टर पर असहमति के नोटों के जरिए ऐसा किया था। उन्होंने कहा कि हम जमात से अपील करते हैं कि जनमत संग्रह को लेकर जनता में दहशत न फैलाएं। इसके बदले हमें उन चीजों पर ध्यान देना होगा जिससे असहमति की प्रक्रिया का समाधान निकले।
Published on:
03 Nov 2025 12:51 pm
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