Bangladesh Sheikh Hasina corruption extradition: बांग्लादेश की अस्थायी मुहम्मद यूनुस सरकार (Muhammad Yunus) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर एक सरकारी परियोजना में लगभग 5 अरब डॉलर की कथित गड़बड़ियों और धनशोधन के आरोप (Bangladesh Sheikh Hasina corruption extradition) लगाए हैं। अब भारत से प्रत्यर्पण मांगते हुए उनकी संपत्ति फ्रीज की जा रही है और परिवार के कई सदस्यों पर भी पूछताछ जारी है। कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। यह मामला उस समय का है जब वे सत्ता में थीं। बांग्लादेश की एंटी करप्शन कमीशन (ACC) ने उनके खिलाफ आरोप तय करते हुए दावा किया है कि कुछ फैसले प्रक्रियाओं और नियमों का उल्लंघन कर लिए गए थे। यह मामला राजनीतिक हलकों में हलचल मचा रहा है, वहीं भारत भी इस घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए है क्योंकि भारत-बांग्लादेश संबंधों (India-Bangladesh relations ) में हसीना की भूमिका अहम रही है।
इन आरोपों के अनुसार, हसीना सरकार ने सार्वजनिक संस्थानों और परियोजनाओं को अपने करीबी लोगों के पक्ष में मोड़ा, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना कमजोर हुई। कुछ आरोपों में उन्होंने बताया कि हसीना ने समृद्धि के नाम पर देश के संसाधनों को लूटा।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने दिसंबर 2024 में अंतरिम सरकार की बागडोर संभाली थी, उन्होंने शेख हसीना और उनके शासन पारिवारिक जीर्ण-शीर्ण प्रणाली को बहुत कठोर तरीके से आलोचना की है। यूनुस ने कहा कि हसीना की सरकार ने लोकतांत्रिक संस्थाओं जैसे न्यायपालिका, प्रशासन और मीडिया को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया। उन्हें "आदालतों को अपनी ओर झुकाने", लोकतंत्र को कमजोर करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का दोषी ठहराया गया।
यूनुस सरकार के कुछ आरोपों में कहा गया कि शेख हसीना ने "विकास और समृद्धि" के नाम पर देश की संपत्तियों और संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया। उनके शासनकाल में सत्ता का दुरुपयोग हुआ है और कई सरकारी फैसलों को आम जनता के हितों की बजाय अपने राजनीतिक लाभ के लिए लिया गया।
बांग्लादेश की राजनीति में यह घटनाक्रम एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर तब जब शेख हसीना वर्षों से सत्ता में हैं और भारत के साथ मजबूत संबंधों की समर्थक रही हैं। विपक्ष इस मामले को लेकर आक्रामक हो गया है।
जांच अब एंटी करप्शन कमीशन की निगरानी में है। आने वाले दिनों में कोर्ट में सुनवाई और गवाही की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। भारत इस मामले की प्रगति पर नज़र रखेगा, खासकर अगर इससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित होती है
बहरहाल भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले एक दशक में कई रणनीतिक और व्यापारिक समझौते हुए हैं। यदि यह मामला राजनीतिक संकट में बदलता है, तो भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति को भी झटका लग सकता है।
Published on:
31 Jul 2025 09:56 pm