Japan PM Resign: करीब 11 महीने पहले जापान के प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले शिगेरू इशिबा ने रविवार को इस्तीफा देने ऐलान कर दिया। इशिबा के इस्तीफे से विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में नीतिगत गतिरोध की एक लंबी अवधि की शुरुआत हो सकती है। 68 वर्षीय इशिबा ने कहा, वे अपने उत्तराधिकारी के निर्वाचित होने तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे। इशिबा के बाद संभावित उत्तराधिकारियों के रूप में शिंजिरो कोइजुमी और सानै ताकाइची को सबसे मजबूत पीएम उम्मीदवार माना जा रहा है।
इशिबा ने पिछले साल लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी ) के नेतृत्व के लिए दूसरे दौर के चुनाव में ताकाइची को मामूली अंतर से हराया था। पार्टी की अनुभवी नेता ताकाइची ने आर्थिक सुरक्षा और आंतरिक मामलों के मंत्री सहित विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं। अगर, ताकाइची चुनी जाती हैं तो वे जापान की पहली महिला पीएम होंगी। वहीं, विख्यात राजनीतिक परिवार से आने वाले कोइजुमी ने इशिबा के कृषि मंत्री के रूप में ख्याति हासिल की। वे चावल के दामों को काबू कर चर्चा में आए थे। लेकिन उन्होंने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया था।
इशिबा ने जुलाई में उच्च सदन के मतदान में हुई हालिया हार के बाद पद छोडऩे की मांग को ठुकरा दिया था। इसके बजाय, उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि हम अमरीका के साथ बेहद अहम टैरिफ वार्ता में जुटे हुए हैं। इन वार्ताओं में बाधा हमारी
सबसे बड़ी गलती होगी। राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए हमें पूरी निष्ठा और ऊर्जा लगानी होगी। अब इस्तीफे की घोषणा
करते हुए अपने संबोधन में कहा कि अमरीका की तरफ से जापान को टैरिफ रिलीफ मिल गई है और अब नई पीढ़ी को
इसका जिम्मा संभालना होगा।
इशिबा ने यह कदम पार्टी में संभावित विभाजन को टालने के लिए उठाया है। उनके नेतृत्व में पार्टी की चुनाव में लगातार हार के
चलते पार्टी के भीतर लीडरशिप चेंज की मांग उठ रही थी। इशिबा के इस्तीफे की अटकलें उस समय तेज हो गईं जब एलडीपी ने सोमवार को नए अध्यक्ष के लिए मतदान कराने का निर्णय लिया। इसे इशिबा के लिए अविश्वास प्रस्ताव की तरह देखा जा रहा था।
जापान में नया प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है। पहले एलडीपी अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करेगी, इसके लिए उम्मीदवार को 20 सांसदों का समर्थन चाहिए, फिर सांसद और कार्यकर्ता मतदान करेंगे। बहुमत न मिले तो शीर्ष दो के बीच रन-ऑफ होगा। इसके बाद संसद में मतदान होता है। निचला सदन पहले प्रधानमंत्री के लिए वोट करता है, फिर ऊपरी सदन। दोनों में मतभेद हो तो निचले सदन का फैसला अंतिम होता है।
Published on:
08 Sept 2025 08:37 am