US tariffs on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump)की ओर से भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ (25% tariff India) लगाने की घोषणा और भारतीय वस्तुओं पर अपेक्षा से कहीं अधिक टैरिफ लगाने के बाद गुरुवार को भारत का रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया है और शेयर सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई है। अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ (Trump tariff announcement) लगाने के बाद भारत का रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया (Indian industry impact)है। ऐसे में विश्लेषकों ने देश के विकास पर निरंतर दबाव पड़ने की चेतावनी दी है। अमेरिकी नेता ने कहा कि उन्हें रूस के साथ भारत के व्यापारिक सौदों (India trade relations) की परवाह नहीं है और दोनों "मिल कर अपनी मर चुकी अर्थव्यवस्थाओं को नीचे गिरा सकते हैं।" आइए जानते हैं कि भारतीय रुपया कब-कब गिरा :
विवरण: भारत में 1991 में गंभीर भुगतान संतुलन संकट आया, जिसके कारण सरकार ने रुपये को 17.90 प्रति डॉलर से 25.92 प्रति डॉलर तक डिवैल्यू किया।
कारण: बैलेंस ऑफ पेमेंट्स संकट, उच्च राजकोषीय घाटा, और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी।
कारण: विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी और वैश्विक ब्याज दरों में वृद्धि।
कारण: तेल आयात पर निर्भरता और डॉलर की वैश्विक मांग में वृद्धि।
विवरण: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, रुपये 87.43 प्रति डॉलर से गिरकर 87.57 प्रति डॉलर तक पहुंच गया।
कारण: व्यापारिक तनाव, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका, और विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता।
वर्ष | 1 USD = INR |
---|---|
1947 | ₹3.30 |
1966 | ₹7.50 |
1991 | ₹17.90 |
1992 | ₹25.92 |
2004 | ₹45.32 |
2008 | ₹43.30 |
2013 | ₹58.62 |
2022 | ₹80.03 |
2025 | ₹87.57 |
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा,"मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। मुझे बस परवाह है कि वे मिल कर अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को नीचे गिरा सकते हैं। हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, उनके टैरिफ बहुत ज़्यादा हैं, दुनिया में सबसे ज़्यादा। इसी तरह, रूस और अमेरिका लगभग कोई व्यापार नहीं करते। इसे ऐसे ही रहने दें।"
ट्रंप ने बुधवार को भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, "पिछले कुछ वर्षों में, हमने उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज़्यादा हैं, दुनिया में सबसे ज़्यादा, और उनके पास किसी भी देश की तुलना में सबसे कठोर और अप्रिय गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएँ हैं।"
जवाब में, भारत सरकार ने कहा कि वह ट्रंप की घोषणाओं के निहितार्थों का अध्ययन कर रही है और एक निष्पक्ष व्यापार समझौता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत के प्रमुख निर्यातों में स्मार्टफ़ोन, दवाइयां, रत्न, वस्त्र और औद्योगिक मशीनरी शामिल हैं, जबकि कुछ सबसे ज़्यादा श्रम-प्रधान वस्तुए, जिनमें आभूषण और समुद्री भोजन शामिल हैं , वे ख़तरे में हैं। हज़ारों लोगों की नौकरियाँ जा सकती हैं।
भारत के आभूषण क्षेत्र, जिसने पिछले साल 10 अरब डॉलर से ज़्यादा मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया था, उन्होंने चेतावनी दी है कि हज़ारों लोगों की नौकरियाँ जा सकती हैं।
आईफोन निर्माण योजनाओं पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
भारत पर ट्रंप के टैरिफ से आईफोन निर्माण योजनाओं पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
विश्लेषकों और उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 25% टैरिफ से आईफोन निर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में इस एशियाई देश की भूमिका में कोई खास कमी नहीं आएगी, भले ही इसका मतलब अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए स्मार्टफोन महंगे हो जाएँगे।
उधर एप्पल ने अपने भारत निर्यात को लगभग पूरी तरह से अमेरिकी बाजार के लिए तैयार कर लिया है, और फॉक्सकॉन की ओर से भारत से निर्यात किए गए लगभग सभी 3.2 अरब डॉलर मूल्य के आईफोन मार्च और मई के बीच अमेरिका भेजे जाएंगे।एप्पल की रणनीति से परिचित एक उद्योग अधिकारी ने कहा कि यह कहना अभी "जल्दबाज़ी" होगी कि हाल की घटनाएं या ट्रंप के रुख में भविष्य में होने वाले बदलाव भारत में एप्पल की विनिर्माण योजनाओं को बदलेंगे या नहीं। "ये योजनाएं लंबी अवधि के लिए बनाई गई हैं।"
बहरहाल ट्रंप टैरिफ बम के बाद अर्थशास्त्रियों का कहना है कि घोषित 25% टैरिफ 2025-26 में दक्षिण एशियाई देश की वृद्धि दर को 40 आधार अंकों तक कम कर सकता है, और अतिरिक्त जुर्माने के खतरे से भविष्य और भी धुंधला सकता है।
इनपुट क्रेडिट: शिन्हुआ और IANS
Updated on:
31 Jul 2025 06:28 pm
Published on:
31 Jul 2025 06:27 pm