China Brahmaputra Hydropower Project: चीन ने हाल ही में ब्रह्मपुत्र (यारलुंग जांग्बो) नदी पर अपनी जलविद्युत परियोजना (China Brahmaputra dam) का बचाव किया है और दावा किया है कि इससे नदी (India China river dispute)के निचले इलाकों में किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। चीन का कहना है कि यह परियोजना(Brahmaputra Hydropower Project) पूरी तरह से उसकी संप्रभुता के तहत विकसित की जा रही है और यह स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने, स्थानीय लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।
चीन ने इस परियोजना को लेकर बढ़ती चिंताओं का जवाब देते हुए कहा है कि जलविद्युत परियोजना के निर्माण से निचले इलाकों पर कोई नुकसान नहीं होगा। बीजिंग के अनुसार, यह योजना उच्चतम राष्ट्रीय औद्योगिक मानकों के अनुसार बनाई गई है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
चीन ने यह भी दावा किया कि इस परियोजना के माध्यम से वह निचले इलाकों के देशों के साथ जलविज्ञान के संबंध में जानकारी शेयर करता रहेगा और बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर समन्वय बनाए रखेगा।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चीन की इस जलविद्युत परियोजना को “पानी का बम” बताया और चेतावनी दी कि यह परियोजना उनके राज्य की जनजातियों और जीवनशैली के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। उन्होंने इस परियोजना को अस्तित्व संकट के रूप में देखा और कहा कि चीन का इस परियोजना का उपयोग एक ‘वॉटर बम’ की तरह कर सकता है। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने चिंता जताते हुए कहा कि ब्रह्मपुत्र का जल प्रवाह सिर्फ यारलुंग जांग्बो पर निर्भर नहीं है, और इससे तत्काल कोई बड़ी समस्या नहीं होगी।
चीन ने अपने बयान में कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटना है। उनका कहना है कि इस जलविद्युत योजना से न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा, बल्कि यह पर्यावरण की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में भी सहायक साबित होगी। चीन ने यह भी बताया कि वह जलवायु संकट से लड़ने के लिए वैश्विक प्रयासों में सक्रिय रूप से भागीदार है और इस परियोजना को इसके तहत देखा जा रहा है।
इस परियोजना से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अब तक भारत और बांग्लादेश में चर्चा होती रही है। दोनों देशों को इस परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को लेकर कई तरह की चिंताएं हैं, जबकि चीन इसे अपनी संप्रभुता के तहत पूरी तरह से वैध और उचित मानता है। यह देखने वाली बात होगी कि भविष्य में चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग बढ़ाता है या किसी और तरीके से इस परियोजना को लेकर विवाद और गहरा होता है।
Published on:
24 Jul 2025 02:36 pm