3 अगस्त 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

ChatGPT के 10 जवाबों में खर्च हो जाता है इतना लीटर पानी! जानें AI कैसे बन रहा इंसानों के लिए खतरा?

ChatGPT Water Usage: ChatGPT से पूछे गए 10 से 50 सवाल पर औसतन 2 लीटर पानी खर्च होता है। आइए जानते हैं AI से किस तरह जल संकट गहराता जा रहा है। पढ़िए नमन मिश्रा की रिपोर्ट।

भारत

Devika Chatraj

Jul 31, 2025

AI Water Consumption (AI/Patrika)

AI Water Consumption: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती लोकप्रियता और तकनीकी प्रगति ने वैश्विक जल संसाधनों पर अभूतपूर्व दबाव डाला है। एआई डेटा सेंटर्स की भारी मशीनरी को ठंडा करने के लिए प्रति दिन लाखों लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जिससे भारत सहित कई देशों में जल संकट गहराता जा रहा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, रिवरसाइड के शोधकर्ता शाओलेई रेन के हालिया अध्ययन के अनुसार, जीपीटी-3 जैसे बड़े एआई मॉडल्स के लिए औसतन 2 लीटर पानी प्रति 10-50 प्रश्नों के जवाब में खर्च होता है, जो पहले अनुमानित 500 मिलीलीटर से चार गुना अधिक है।

भारत में बढ़ता जल संकट

इलेक्ट्रोपेज की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डेटा सेंटर्स की जल खपत 2025 में 150.3 अरब लीटर तक पहुंच सकती है, जो 2030 तक बढ़कर 358.66 अरब लीटर हो सकती है। बेंगलुरु जैसे शहर, जो पहले से ही जल संकट का सामना कर रहे हैं, में डेटा सेंटर्स प्रतिदिन 8 मिलियन लीटर पानी का उपयोग कर रहे हैं। यह खपत 2025 में और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि भारत में डेटा सेंटर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

कूलिंग प्रक्रिया के लिए पानी की बर्बादी

एआई डेटा सेंटर्स में सीपीयू और जीपीयू जैसी शक्तिशाली मशीनें भारी मात्रा में ताप उत्पन्न करती हैं। इन्हें ठंडा करने के लिए वाटर इवेपोरेशन कूलिंग टावर्स का उपयोग होता है, जिसमें 80% पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है और केवल 20% ही पुनर्चक्रण के लिए बचता है। गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों, जैसे भारत के कई हिस्सों में, यह खपत और भी बढ़ जाती है।

टेक कंपनियों की जल खपत

  • गूगल: 2024 में गूगल के डेटा सेंटर्स ने वैश्विक स्तर पर 21 बिलियन लीटर पानी का उपयोग किया, जो 2025 में 22.7 बिलियन लीटर तक पहुंच सकता है।
  • माइक्रोसॉफ्ट: 2024 में 5.7 बिलियन लीटर पानी की खपत के साथ, कंपनी ने इवेपोरेटिव कूलिंग को 95% तक कम करने का लक्ष्य रखा है।
  • मेटा: 2024 में अनुमानित 5.7-7.6 बिलियन लीटर पानी की खपत, हालांकि सटीक आंकड़े जारी नहीं किए गए।
  • अमेजन वेब सर्विसेज (AWS): 2024 में 3.8-7.6 बिलियन लीटर पानी की खपत, और कंपनी ने 2030 तक "वाटर पॉजिटिव" बनने का लक्ष्य रखा है।

सूखाग्रस्त क्षेत्रों पर प्रभाव

  • एरिजोना, अमेरिका: गूगल के डेटा सेंटर्स ने 2024 में 1.45 बिलियन गैलन पानी का उपयोग किया, जो 23,000 स्थानीय निवासियों की वार्षिक खपत के बराबर है।
  • उरुग्वे: गूगल के डेटा सेंटर ने 2024 में 74 साल के सबसे खराब सूखे के बीच जल संकट को और गहरा किया, जिससे स्थानीय समुदायों में विरोध प्रदर्शन हुए।
  • भारत: बेंगलुरु में डेटा सेंटर्स की बढ़ती जल खपत ने शहर के जल संकट को और गंभीर बना दिया है, जहां पहले से ही पानी की कमी एक बड़ी समस्या है।

क्या है चुनौतियां?

जल खपत को कम करने के लिए लिक्विड कूलिंग, वेस्टवाटर रिसाइक्लिंग, और समुद्री जल उपयोग जैसे नवाचारों पर काम हो रहा है। भारत में कुछ कंपनियां, जैसे CtrlS और NTT, 100% रिसाइकिल्ड पानी और 99% वेस्ट रिसाइक्लिंग की दिशा में काम कर रही हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजन जैसी कंपनियों ने 2030 तक "वाटर पॉजिटिव" बनने का वादा किया है, जिसका अर्थ है कि वे जितना पानी उपयोग करेंगी, उससे अधिक पानी पर्यावरण में वापस करेंगी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पानी की समस्या स्थानीय होती है, और ऑफसेटिंग से स्थानीय समुदायों को सीधा लाभ नहीं मिलता।

विशेषज्ञों ने बताया बचत का तरीका

विशेषज्ञों का मानना है कि डेटा सेंटर्स को ठंडे क्षेत्रों में स्थानांतरित करना, बंद-लूप कूलिंग सिस्टम अपनाना, और गैर-पेयजल स्रोतों का उपयोग करना जल संकट को कम करने में मदद कर सकता है। भारत जैसे देशों में, जहां जलवायु और जल संसाधनों की कमी पहले से ही चुनौती है, डेटा सेंटर उद्योग को टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने की तत्काल आवश्यकता है।