रूस ने छोटी और मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलों की तैनाती पर रोक लगाने वाली इंटरमीडियट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस ट्रीटी (आइएनएफ संधि) से खुद को हटाने का फैसला किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ की मास्को यात्रा से ठीक पूर्व रूस ने यह कदम उठाया है।
रूसी सुरक्षा परिषद् के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने शीत युद्ध कालीन समझौते से हटने के लिए नाटो देशों को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही मेदवेदेव ने चेतावनी दी कि आगे और भी कदम की उम्मीद करें।
मेदवेदेव से पहले रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चूंकि यूरोप और एशिया-प्रशांत में अमेरिका की मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों की तैनाती की स्थिति विकसित हो रही है। इसलिए समान हथियारों की तैनाती पर एकतरफा रोक लगाने की शर्तें समाप्त हो गई है।
रूस ने ऐस्ट्राखेन ओब्लास्ट में कपुस्टिन यार परीक्षण रेंज के ऊपर अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। यह कदम संधि के प्रतिबंधों से हटने के बयान की पृष्ठभूमि में उठाया गया है, जो मिसाइलों के परीक्षण की तैयारी का संकेत हो सकता है।
अमेरिका को वर्चस्व खत्म होना स्वीकार नहीं रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा है कि अमेरिका अपना वर्चस्व खत्म होना स्वीकार नहीं कर पा रहा। वर्चस्व कायम रखने के लिए 'नव उपनिवेशवादी नीति अपना रहा है।
दरअसल, 1987 में रूस और अमेरिका के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश 500 से 5500 किमी की रेंज वाली बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की तैनाती नहीं करेंगे।
अमेरिका के 2019 में इस समझौते से बाहर निकलने के बाद भी रूस ने कहा था कि वह अमेरिका द्वारा तैनाती नहीं किए जाने तक, इस समझौता का पालन करेगा। पर मंगलवार को रूस इससे भी अलग हो गया।
Updated on:
06 Aug 2025 08:20 am
Published on:
06 Aug 2025 08:15 am