आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के अगुवा माने जाने वाले वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन ने चेताया है कि अगर एआइ सिस्टम्स ने खुद की भाषा विकसित कर ली, तो इंसानों के लिए समझना असंभव होगा कि वे क्या सोच रहे हैं और क्या करने वाले हैं।
‘वन डिसीजन’ पॉडकास्ट में बोलते हुए हिंटन ने कहा, ‘अभी एआइ अंग्रेजी में ‘सोचती’ है, जिससे डवलपर्स उसके कामकाज पर निगरानी रख सकते हैं। अगर उसने अपने लिए अलग ‘सोचने की भाषा’ बना ली, तो हमें उसका इरादा समझने में मुश्किल होगी।’
मशीन लर्निंग की नींव रखने वालों में से एक जेफ्री हिंटन ने पिछले साल गूगल से इस्तीफा देकर एआइ से जुड़ी चिंताओं पर खुलकर बोलना शुरू किया था।
उनका कहना है कि यह परिवर्तन औद्योगिक क्रांति जितना बड़ा होगा, फर्क बस इतना है कि इस बार मुकाबला शारीरिक ताकत का नहीं, बल्कि बौद्धिक क्षमता का होगा।
उधर, एक नई रिपोर्ट के मुताबिक जनरेटिव एआइ के कारण अकेले अमरीका में 2023 से अब तक 27,000 से ज्यादा नौकरियां खत्म हो चुकी हैं। केवल जुलाई में ही 10,000 से अधिक पद समाप्त किए गए।
सबसे बड़ा असर युवा और शुरुआती स्तर के कर्मचारियों पर पड़ा है, जहां 15त्न तक की गिरावट दर्ज की गई। अमेजन जैसी कंपनियों ने भी माना है कि दक्षता लाभ के लिए कार्यबल में कटौती करनी पड़ सकती है।
एपल भी एआइ क्षमताओं को बढ़ाने के लिए चुपचाप एक नई आंतरिक टीम ‘एकेआइ (आंसर, नॉलेज एंड इंफोर्मेशन)’ बना रही है, जो चैटजीपीटी जैसी ‘आंसर इंजन’ तकनीक पर काम करेगी। रिपोर्ट के अनुसार टीम ने सिरी, सफारी और स्पॉटलाइट में सुधार के लिए चीन व अमरीका में मशीन लर्निंग इंजीनियरों की भर्ती शुरू की है, जिनसे यूजर-सेंट्रिक, पर्सनलाइज्ड एआइ फीचर्स विकसित करने की अपेक्षा है।
जेफ्री की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब चैटजीपीटी निमार्ता ओपनएआइ की रिपोर्ट में सामने आ चुका है कि उसके ’ओ 3’ और ’ओ 4-मिनी’ जैसे एडवांस एआइ मॉडल बार-बार ’हेलूसनेट’ कर रहे हैं यानी अपनी मर्जी से तथ्य गढ़ रहे हैं। कंपनी ने स्वीकार किया कि उन्हें खुद नहीं पता कि ऐसा क्यों हो रहा है।
Published on:
05 Aug 2025 07:38 am