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जंगल का सुपर हीरो क्यों कहे जाते हैं जिम कॉर्बेट ? जानिए उनकी रोमांचक वाइल्ड लाइफ कहानी

Jim Corbett Tiger Conservation: जिम कॉर्बेट ने सैकड़ों लोगों की जान बचाने के साथ-साथ भारत में टाइगर संरक्षण की शुरुआत की। उनकी बहादुरी और संवेदनशीलता आज भी वन्यजीवन संरक्षण के लिए प्रेरणा स्रोत है।

भारत

MI Zahir

Jul 24, 2025

Jim Corbett Tiger Conservation
जिम कॉर्बेट एक बहादुर शिकारी और प्रकृति प्रेमी थे। ( फोटो: आईएएनएस)

\Jim Corbett Tiger Conservation: जिम कॉर्बेट (Jim Corbett) एक बहादुर शिकारी, जंगल के हीरो (Jungle hero Jim Corbett) और प्रकृति प्रेमी थे, जिन्होंने भारतीय जंगलों में सैकड़ों लोगों की जान बचाई। वे सिर्फ एक शिकारी नहीं थे, बल्कि उन्होंने टाइगर संरक्षण (Tiger conservation India) की भी शुरुआत की। उनका नाम आज भी जंगल प्रेमियों और संरक्षण (Wildlife protection)कार्यकर्ताओं के बीच आदर के साथ लिया जाता है। जिम कॉर्बेट (Jim Corbett National Park) ने जंगल में ऐसे खतरनाक जानवरों का सामना किया, जो लोगों के लिए खतरा बन गए थे। उन्होंने धैर्य और साहस से कई घातक शेर और बाघों को पकड़ या मार कर इलाके की सुरक्षा की, लेकिन इसके साथ ही, वे वन्यजीवन के प्रति संवेदनशील भी थे और उन्हें बचाने के लिए लगातार काम करते रहे।

टाइगर संरक्षण की पहल: पहला कदम

जिम कॉर्बेट ने यह समझा कि केवल जानवरों का शिकार करके जंगल की सुरक्षा नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने टाइगर और अन्य जंगली जानवरों के संरक्षण की दिशा में काम करना शुरू किया। उनकी इस पहल ने भारत में टाइगर रिजर्व की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, जो आज भी विश्व के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है।

जिम कॉर्बेट : एक नजर

जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को ब्रिटिश भारत के नैनीताल जिले के कालाढूंगी कस्बे में हुआ था, जो अब उत्तराखंड राज्य में स्थित है। उनका बचपन प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे इस क्षेत्र में बीता, जिसने उनमें वन्यजीवन के प्रति गहरी समझ और लगाव पैदा किया। यही लगाव आगे चलकर उन्हें एक साहसी शिकारी से विश्व प्रसिद्ध टाइगर संरक्षणकर्ता बना गया।

जिम कॉर्बेट का आज का महत्व

आज भी जिम कॉर्बेट के नाम पर भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान स्थापित है, जो उनके संरक्षण कार्य का सम्मान है। यह पार्क न केवल बाघों का घर है, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनकी कहानी हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ सह-अस्तित्व की सीख देती है।

कुदरत के सच्चे रक्षक की विरासत

जिम कॉर्बेट ने हमें यह सिखाया कि जंगल और उसके जीवों का संरक्षण ही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उनकी बहादुरी और संवेदनशीलता ने लाखों लोगों और जानवरों की जिंदगी बचाई। आज उनके नाम से जुड़े संरक्षण कार्य हमें पर्यावरण सुरक्षा की ओर प्रेरित करते हैं।

उनके समर्पण से सभी प्रेरित होते हैं

जिम कॉर्बेट की बहादुरी और वन्यजीवन के प्रति उनके समर्पण को देखकर हम सभी प्रेरित होते हैं। उनकी कहानी यह बताती है कि एक व्यक्ति की मेहनत और संवेदनशीलता पूरे जंगल और उसकी जैव विविधता को बचाने में कितनी बड़ी भूमिका निभा सकती है। आज भी उनकी विरासत भारतीय जंगलों की सुरक्षा का मार्गदर्शन करती है।

वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकों की जरूरत

जैसे-जैसे वन संरक्षण की जरूरत बढ़ रही है, हमें जिम कॉर्बेट के पदचिन्हों पर चलते हुए नए संरक्षण अभियान शुरू करने होंगे। सरकार और नागरिक दोनों को मिलकर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकों और जागरूकता अभियानों को तेज करना होगा, ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी इस प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकें।

इंसान और जानवरों के बीच सह-अस्तित्व जरूरी

बहरहाल जिम कॉर्बेट की कहानी सिर्फ एक शिकारी की नहीं, बल्कि पर्यावरण और मानव जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने वाले पहले पर्यावरणविद् की भी है। उनकी यह समझ कि इंसान और जानवरों के बीच सह-अस्तित्व जरूरी है, आज भी उन विवादों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जहां वन्यजीवन संरक्षण और मानव विकास के हित टकराते हैं।