देशभर में अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में दशहरा(Dussehra 2025) पर्व मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन की परंपरा कई सौ सालों से चली आ रही है। लेकिन मध्यप्रदेश के कई स्थानों पर रावण दहन नहीं होता है।
राजगढ़ के भाटखेड़ी में रावण की स्थायी प्रतिमा स्थापित है। लोग मानते हैं कि वह एक शक्तिशाली राजा था और उसकी पूजा की जाती है। उसे मारने का अभिनय किया जाता है, लेकिन जलाया नहीं जाता। (फोटो सोर्स : AI जेनरेटेड)
विदिशा के नटेरन तहसील में रावण नाम से एक गांव है। इस गांव का नाम ही रावण पर रखा गया है। यहां के लोग रावण को पूजनीय मानते हैं और उसे जलाना अशुभ मानते हैं।(फोटो सोर्स : AI जेनरेटेड)
दतिया जिले के सिवड़ा में पुरानी मान्यता है कि रावण ज्ञानी और शिवभक्त था। इसलिए यहां उसकी पूजा होती है, दहन नहीं। (फोटो सोर्स : AI जेनरेटेड)
मंदसौर के खानपुरा में रावण को विद्वान ब्राह्मण और शिवभक्त माना जाता है। कुछ परिवार खुद को रावण का वंशज मानते हैं, इसलिए उसका दहन नहीं करते।
मंडला जिले में गोंड जनजाति रावण को अपने पूर्वजों जैसा मानती है और उसकी पूजा करती है। इस क्षेत्र में रावण दहन(Ravana Dahan) की परंपरा नहीं है।(फोटो सोर्स : AI जेनरेटेड)