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सावन में घूमने का मूंड होतो आईए नईनाथ धाम, स्वर्ग जैसा है यहां का दृश्य

बांसखोह@ पत्रिका. अगर आप सावन माह में बारिश के दौरान कही घूमने या पिकनिक मनाने का मूंड बना रहे हो तो जयपुर से पूर्व दिशा की ओर जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्सी उपखण्ड में 40 किमी की दूरी पर स्थित नईनाथ धाम का वन्य इलाका आपको आनंदित कर देगा। चारों ओर हरियाली से आच्छांदित अरावली […]

बांसखोह@ पत्रिका. अगर आप सावन माह में बारिश के दौरान कही घूमने या पिकनिक मनाने का मूंड बना रहे हो तो जयपुर से पूर्व दिशा की ओर जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्सी उपखण्ड में 40 किमी की दूरी पर स्थित नईनाथ धाम का वन्य इलाका आपको आनंदित कर देगा। चारों ओर हरियाली से आच्छांदित अरावली की पहाड़ियां आपको बरबस ही आकर्षित करती है।

वर्तमान में बारिश के साथ ही पूरा वन्य इलाका कश्मीर की वादियों सा नजर आने लगा है। अब सावन भादवा दो माह नईनाथ धाम पर प्रतिदिन मेला सा माहौल रहेगा। इन दो माह में नईनाथ धाम पर करीब 10 लाख से अधिक श्रद्धालु एवं पर्यटक भोले की नगरी पर पहुंचेंगे। प्रतिदिन यहां पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होने से गोठ,सवामणी में चूरमा बाटी दाल का भी लुफ्त उठाते हैं।

लव कुश वाटिका भी कर रही आकर्षित

नईनाथ धाम के वन्य इलाके में 3 वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बजट घोषणा के अनुरूप वन विभाग की ओर से 2 करोड़ की लागत से लव कुश वाटिका भी बनाई गई है। इस लव कुश वाटिका में वॉच टावर,वन्यजीवों के लिए बने पानी के पॉइंट,ट्रैक,झोंपे,बैंचें, झूले,फिसलन पट्टी, मुख्य दरवाजा आदि पर्यटकों को आकर्षित कर रहे है। बोड्या पर बना जगदीश सरोवर भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

ठहरने के लिए है दो दर्जन धर्मशालाएं….

नईनाथ धाम पर श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधाओं के लिए विभिन्न समाजों की दो दर्जन से अधिक धर्मशालाएं हैं। इन धर्मशालाओं में यात्री रात या दिन के समय ठहर भी सकते हैं। एवं अपने खाने का सामान भी बना सकते हैं। धर्मशाला में ठहरने के लिए कमरे एवं खाना बनाने के लिए बर्तन भी उपलब्ध है।

400 वर्ष पुराना है मंदिर

नईनाथ धाम का शिव मंदिर वर्षों पुराना है। इस ऐतिहासिक मंदिर पर आसपास के ही नही बल्कि अन्य जिलों एवं राज्यों से भी श्रद्धालु भोले के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं। किसी भी यात्रा की शुरुआत यहां पर धोक लगाकर शुरू की जाती है। वर्ष में दो बार महाशिवरात्रि एवं सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर लक्खी मेला भरता है। प्रत्येक सोमवार एवं प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर भी मेला भरता है। सावन एवं भादवा दो माह तो यहां पर प्रतिदिन मेला ही भरा रहता है। प्रतिदिन भोले के दरबार में एक दर्जन सहस्रघट एवं अभिषेक कार्यक्रम का आयोजन होता है। वन सोमवार पर भी महिलाएं भोले के दरबार में दर्शन कर वन्य इलाके में व्रत खोलती है। दो माह तक कनक दंडवत,पैदल यात्रा, कावड़ यात्रा का भी दौर चलता रहेगा।

रास्ते दुरुस्त,निजी वाहनों की सुविधा उपलब्ध

जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसखोह फाटक से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नईनाथ धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रास्ता भी बिलकुल दुरुस्त है। इधर बस्सी गंगापुर स्टेट हाईवे से भी नईनाथ धाम आने के लिए यात्रियों के लिए रास्ता पूरी तरह दुरुस्त है। ट्रेन से सफर करने वाले यात्री बांसखोह स्टेशन पर उतरकर निजी वाहनों से नईनाथ धाम पर आ सकते हैं।