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सीटों को लेकर बिहार में शुरू हुई बगावत, भाजपा के लिए सिरदर्द बनी साथी पार्टियां

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी है।

पटना

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Pankaj Meghwal

Oct 08, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी है। दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए मांझी ने साफ कहा कि अगर उनकी पार्टी को कम से कम 15 सीटें नहीं दी गईं, तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। उधर लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के निर्णयों और बयानों से भी बगावी तेवर दिखाई दे रहे हैं। कल यानी 9 अक्टूबर को पार्टी ने आपातकालीन बैठक बुलाई है। जिसमें बड़े नेताओं को उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं।

जीतन राम मांझी की ओर से कहा गया कि पार्टी को अपमानित महसूस कराया जा रहा है। न तो सही से बैठकों में बुलाया जा रहा है और न ही कार्यकर्ताओं को जरूरी दस्तावेज जैसे मतदाता सूची दी जा रही है। मांझी ने सवाल उठाया – “हम कब तक अपमान का घूंट पीते रहेंगे?” दरअसल मांझी चाहते हैं कि आगामी बिहार चुनाव में पार्टी को 15 सीटें मिलें ताकि उनमें से कम से कम 8 से 9 सीटों पर मजबूत दावेदारी हो सके। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें चिराग पासवान से कोई निजी नाराज़गी नहीं है, लेकिन गठबंधन में जो व्यवहार हो रहा है, वो ठीक नहीं है। वहीं चिराग पासवान की मांग है कि उनकी पार्टी को 40 से 45 विधानसभा सीटें मिलें, खासकर उन लोकसभा क्षेत्रों में जहां लोजपा रामविलास ने 2024 में जीत दर्ज की थी, यहीं नहीं चिराग ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि प्रत्येक लोकसभा पर उनके पास कम-से-कम दो विधानसभा सीटें होनी चाहिए। लेकिन भाजपा अभी केवल 25 सीटों का प्रस्ताव दे रही है, जिसे चिराग और उनके समर्थकों में खलबली मची हुई है।

इस पूरे मुद्दे पर जीतन राम का कहना है कि कुछ लोग, जिनके पास एक भी सीट नहीं है, वो भी बड़ी-बड़ी मांगें कर रहे हैं। वहीं, उनकी पार्टी के पास 70 से 80 ऐसी सीटें हैं जहां कम से कम बीस हजार वोट तय माने जा सकते हैं। मांझी ने ये भी साफ किया कि अगर बात नहीं बनी, तो उनके पास सारे विकल्प खुले हैं। यहां तक कि चुनाव न लड़ने का भी विकल्प पार्टी के सामने है। लेकिन यह उनका अंतिम रास्ता होगा। 10 अक्टूबर को पटना में पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस पूरे मसले पर आखिरी फैसला लिया जाएगा।

बता दें कि बिहार में चुनाव तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य के विधानसभा चुनाव नवंबर के महीने में दो चरणों में कराए जाएंगें। लेकिन चुनाव घोषणा के साथ ही इंडिया ब्लोक और एनडीए में उठापटक शुरू हो चुकी है। बीजेपी की ओर से मांझी को पुराने फॉर्मूले के तहत 7 सीटें देने का ऑफर मिला है। लेकिन मांझी इसे अपमानजनक मानते हुए 15 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं। पहले से ही चिराग पासवान की सीट मांग को लेकर खींचतान चल रही है। ऐसे में जीतन राम मांझी का ये तीखा रुख बीजेपी के लिए नई सिरदर्दी बन सकता है। अब देखना होगा कि क्या एनडीए मांझी की बात मानकर विवाद सुलझा पाता है या फिर बिहार में गठबंधन की राह और मुश्किल हो जाएगी।