इतना जर्जर हो चुका है कि तीन कमरे में से दो कमरे तो कभी भी ढह सकते हैं। इसलिए एक कमरे में ही पहली से पांचवीं तक के बच्चों को एक साथ बिठाया जा रहा है। समझा जा सकता है कि शिक्षक खुद कितने मजबूर हैं। हालांकि इस सत्र भी वहां क्लास लगाने के पीछे मजबूरी स्कूल जतन योजना की ठेकेदार की लापरवाही का नतीजा है। क्योंकि जर्जर भवन को देखते हुए यहां स्कूल जतन योजना के तहत दो नए अतिरिक्त कक्ष भवन बनाने सालभर पहले स्वीकृति दी जा चुकी है। छह माह में भवन बनाकर देना था मगर सालभर बाद भी दोनों अतिरिक्त कक्ष का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है। नए शिक्षा सत्र से पहले अगर अतिरिक्त भवन बनाकर स्कूल विभाग को मिल चुका होता तो आज मौत के साए में बचपन नहीं होता।
स्कूल में टॉयलेट-पानी तक नहीं
इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि इस स्कूल में टॉयलेट और पानी तक का कोई इंतजाम नहीं है। विद्यालय में एक पुरुष और दो महिला शिक्षिका हैं। इसके अलावा बालक-बालिकाएं भी है। जिन्हें प्रसाधन के लिए रोज परेशान होना पड़ता है।
हादसे का डर, इसलिए बच्चों को भेजना कर दिए बंद
जिस हालात में अभी स्कूल भवन है जहां बच्चों को बिठाया जा रहा है। इससे किसी भी दिन अनहोनी हो सकती है। यह डर यहां पढऩे वाले बच्चों के माता-पिता के जेहन भी देखने का मिल रहा है। पत्रिका की टीम जब यहां पहुंची तो मात्र 8 से 9 बच्चे ही पढऩे पहुंचे थे। स्कूल स्टॉफ ने बताया कि यहां कुल दर्ज संख्या 27 है मगर अधिकतर अभिभावक डर के मारे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। हर साल दर्ज संख्या भी घट रही है।
आयुष कंस्ट्रक्शन को मिला है काम
आरईएस विभाग पामगढ़ के अनुसार, शाप्राशा अजा पारा रसौटा में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत दो नग अतिरिक्त स्कूल भवन निर्माण कार्य की मंजूरी मिली है। इस कार्य का ठेका आयुष कंस्ट्रक्शन को मिला है। आरईएस के अफसरों के मुताबिक जुलाई माह में काम शुरू हुआ था। छह माह में काम पूर्ण होना था लेकिन आज भी काम अधूरा है। वर्तमान में लेंटर सेट्रिंग तक काम पहुंचा है। लेंटर ढलाई, फिर प्लास्टर, बिजली फिटिंग समेत सारे काम बचे हैं। जिससे दो माह का समय और लग सकता है।
निर्माण कार्य में ठेकेदार की ओर से देरी की गई है। हालांकि वहां जमीन को लेकर भी विवाद था। इसमें भी अतिरिक्त समय लगा है। समय अवधि खत्म हो चुके सभी ठेकेदारों को नोटिस भी जारी किया जा चुका है। रसौटा में हफ्ते दिन में लेंटर हो जाएगा। युद्ध स्तर पर काम पूर्ण कराने निर्देशित किए हैं। भवन डिस्टमेंटल घोषित हो चुका है। वहां क्लास लगाने से मना कराया जाएगा।
डीएल सोनवानी, एसडीओ आरईएस पामगढ़