नेपानगर के रतागढ़ गांव में रहने वाले गणेश पिता बंसीलाल अपनी पत्नी दुर्गा को प्रसव के लिए जिला अस्पताल लेकर आया था। गणेश का कहना है कि उसका तीन साल का बेटा है। पत्नी का यह दूसरा प्रसव था। उसे 9वां महीना चल रहा था। प्रसव पीड़ा होने पर वह पत्नी को बुरहानपुर के सरकारी अस्पताल लेकर गया था। यहां उसे बताया गया कि पत्नी की टीबी है और खून की कमी है। इसके लिए उसे खंडवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर जाओ, वहा सारी सुविधा है। शुक्रवार को शाम करीब 6 बजे 108 जननी एक्सप्रेस से वह पत्नी को लेकर खंडवा आया था। पत्नी को महिलाओं के वार्ड में भर्ती कर दिया। रात करीब दो बजे डॉक्टर व स्टॉफ ने कहा कि खून की व्यवस्था करो। तब उसने एक युनिट अपना खून पत्नी को दे दिया था। इस दौरान पत्नी की हालत ठीक थी।
सुबह उसे 6 बजे कहा कि एक युनिट खून ओर लगेगा। इस दौरान उसकी एक डॉक्टर ने खून के लिए मदद भी की। दोपहर में करीब दो बजे पत्नी का ऑपरेशन हुआ। उसे बाहर लाते ही डॉक्टर ने कहा कि आधे घंटे में इंदौर ले जाओ, पत्नी की हालत खराब है, बच्चे की मौत हो गई है। यह कहने के कुछ ही समय बाद पत्नी की भी मौत हो गई। कुछ ही पल में उसकी जिंदगी उजड़ गई। पत्नी बच्ची न बच्चा, दोनों की मौत डॉक्टर व स्टॉप की लापरवाही से हुई है। इन पर प्रकरण दर्ज किया जाए।
हमने दोनों को बचाने के प्रयास किया
पेशेंट दुर्गा पति गणेश नेपानगर से आई थी। महिला को ब्लड़ की काफी कमी थी, 6 ग्राम बल्ड था। इसके साथ महिला को पीलिया 2.7 और सिकल सेल एनिमिया भी था। महिला को ब्लेड प्रेशर भी बढ़ा हुआ था। महिला का प्रसव किया गया था, जब बच्चे की धड़कन काफी कम थी। महिला की हालत भी गंभीर थी। हमने दोनों को बचाने के प्रयास किया लेकिन दस मिनट में ही दोनों की मौत हो गई। परिजन जिस तरह से लापरवाही का आरोप लगा रहे वह गलत हैं। – डॉ. लक्ष्मी डूडवे, स्त्री रोग विशेषज्ञ।