प्रतियोगिता में अयोध्या काण्ड के पावन सा प्रसंग लिया गया था जिसमें दोहा (नंबर 99) रथु हांकेऊ हय राम तन हेरि हेरि हिहिंनाही। देखी निषाद विषादबस धुनहिं सीस पछिताहिं। व्याख्यान करते हुए सबसे पहले क्रम में शिव शक्ति मैत्री मानस मंडली सुकमा के व्याख्याकार गुप्तेश्वर प्रसाद गंगबेर, सुमंत्र ने रथ को हांके और घोड़े श्रीरामचन्द्र जी की ओर देख-देख कर हिनहिनाते हैं को बेहतरीन तरीके से व्याख्यान किए।
इनके सहयोगी जगजीवन निषाद, टीका राम साहु, चंद्रभान बंजारे, मेघेशकांत गंगबेर, बिहारी लाल ठाकुर, संतराम ठाकुर, नरेन्द्र सविता, जागेश्वर साहु रहें। वहीं मुसरिया माता मंडली छिंदगढ़ के व्याख्याकार दुजाल पटेल द्वारा व्याख्यान किया गया, सहयोगी हारमोनियम पर रमेश नेगी, वायलीन राजकुमार बघेल, तबला सुखराम, ढोलक बीरबल, खंजरी भवन मंडावी, कोरस दुर्देश पटेल। वहीं तीसरे दल मानस मंडली पोलमपल्ली कोंटा से व्याख्याकार तुलेश कुमार कौशिक ने दोहे को बहुत अच्छा व्याख्यान किया। सहयोगी गायकी बीड़े, हारमोनियम रघुनाथ नाग, कोरस माड़वी गंगी, मंजीरा गणेश मुचाकी, तुलेश, तबला मिथलेश वर्मा शामिल थे। रामायण मंडली प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मुसरिया माता मंडली छिंदगढ़ को 30 हजार, दुसरा स्थान शिव शक्ति मैत्री मानस मंडली सुकमा को 11 हजार और तीसरा स्थान मानस मंडली पोलमपल्ली कोंटा को 9 हजार रुपए नगद प्रदान किया गया।