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जगदलपुर

हल्ला बोल विरोध प्रदर्शन

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को हल्के में ना लें सरकार, हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो समय आने पर दिया जाएगा करारा जवाब

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सुकमा . विगत 18 दिनों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठे हुए हैं, वही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं ने जिला मुख्यालय में रैली निकालकर अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर कलेक्टर के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका मौजूद थे।
सुकमा जिला मुख्यालय के कलेक्टर कार्यालय के सामने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका अनिश्चितकालीन आंदोलन में बैठे हैं। इस आंदोलन में शामिल होने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संयुक्त मंच के प्रदेश प्रांत अध्यक्ष रुकमणी सज्जल एवं प्रांत सचिव गंगा यादव शामिल हुई। वहीं सभा स्थल से रैली निकालकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी 6 सूत्रीय मांगो को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान संघ की जिला अध्यक्ष दयावती यालम, संगीत ठाकुर, निर्माला सोड़ी, सुशीला कुंजाम, सरोज चलम, अमरीन नीसा, भाग्यलक्ष्मी, शेख जयनभी सहित सैकड़ों की संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका मौजूद थे।

वर्जन
प्रांत अध्यक्ष रुकमणी सज्जन ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन में बैठी है, उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने चुनाव के दौरान हम लोगों को शासकीय कर्मचारी घोषित करना व कलेक्टर दर से वेतन भुगतान देने सहित अन्य वादे किए थे, लेकिन प्रदेश में सरकार बनने के 4 साल बाद भी अब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हमारी मांगों को जल्द पूरा नहीं करेगी तो आने वाले समय में हम भी सरकार को इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। प्रदेश सरकार हम लोगों की मांगों को हल्के में ना लें। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगा।

हड़ताल से आंगनबाड़ी बंद चरमराई व्यवस्था

वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाने से आंगनबाड़ी की व्यवस्था चरमरा गई है कई आंगनबाड़ी केंद्र बंद हो चुके हैं जिसकी वजह से आंगनबाड़ी के माध्यम से संचालित होने वाली योजनाएं ठप पड़ चुकी है, वहीं सुकमा जिला जहां कुपोषण का दर लगभग 34 प्रतिशत के करीब है। ऐसे में लंबे समय तक आंगनबाड़ी बंद रहने से कुपोषण दर में वृद्धि होने की संभावना बढ़ सकती है। इधर आंबा कार्यकर्ताओं की मांगों को लेकर कोई निष्कर्ष निकलता नहीं दिख रहा है। इसका खामियाजा बच्चों एवं गर्भवती माताओं को उठाना पड़ रहा है।