उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हो रही लगातार बारिश और पूर्वांचल में रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश का असर अब गंगा समेत अन्य नदियों के जलस्तर पर साफ दिखने लगा है। बुधवार सुबह गंगा का जलस्तर 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ते हुए 68.77 मीटर तक पहुंच गया। इसके बाद भी गंगा का उफान थमा नहीं है और लगातार जलस्तर में इजाफा जारी है।
बीते दिनों गंगा के पलट प्रवाह ने वरुणा नदी के तटवर्ती इलाकों में लोगों को घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। राहत शिविरों में समय बिताने के बाद जब जलस्तर घटा, तो लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे थे। मगर अब गंगा के तेवर एक बार फिर तल्ख हो चले हैं। बीते दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण वरुणा के निचले इलाकों में फिर से पानी भरने लगा है।
गंगा का उफान इतना बढ़ गया है कि पुराने असि घाट की सभी सीढ़ियां जलमग्न हो चुकी हैं और बाढ़ का पानी अब सड़क पर लहराने लगा है। वहीं, नए असि घाट पर "सुबह-ए-बनारस" कार्यक्रम का मंच भी डूब गया है। स्थानीय निवासियों की चिंता उस वक्त और बढ़ गई जब गंगा का पानी शहर की ओर खुलने वाली कई गलियों में प्रवेश कर गया। हालत यह हो गई है कि अब गलियों के मुहाने तक नौकाएं पहुंचने लगी हैं।
जलस्तर में तेजी से हो रहे इजाफे को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि यही हाल रहा, तो रात तक कई और मोहल्लों और घरों में गंगा का पानी घुस सकता है। केंद्रीय जल आयोग ने भी चेताया है कि गंगा का रुख अगले कुछ घंटों में और आक्रामक हो सकता है।
बाढ़ की आशंका के बीच प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र घाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं। घाटों के किनारे बैरिकेडिंग कर दी गई है और गंगा में नाव संचालन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
बलिया, गाज़ीपुर सहित पूर्वांचल के कई जिलों के निचले इलाकों में गंगा और अन्य नदियों का पानी खेतों में भर गया है, जिससे फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। पहले से ही बाढ़ की मार झेल रहे किसान अब दोबारा नुकसान की कगार पर पहुंच चुके हैं। इस बार संभावना जताई जा रही है कि गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार कर सकता है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि वे नदी किनारे जाने से बचें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता केंद्र से संपर्क करें।
Published on:
30 Jul 2025 11:20 pm