गंगा और वरुणा नदियों के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि ने वाराणसी में भारी तबाही मचा दी है। घाटों को पार कर बाढ़ का पानी अब गलियों और सड़कों में बहने लगा है। शनिवार रात 12 बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर को पार कर 71.31 मीटर तक पहुंच गया। रविवार शाम चार बजे तक यह स्तर खतरे के निशान से 47 सेमी ऊपर बह रहा था और हर घंटे दो सेमी की रफ्तार से बढ़ रहा है।
शहर के 24 मोहल्लों और 32 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। करीब 1182 परिवारों के लगभग 5500 लोग बेघर हो गए हैं। इनमें से 2877 ने राहत शिविरों में शरण ली है जबकि 2484 लोग अन्य ठिकानों पर चले गए हैं। बाढ़ का पानी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार तक पहुंच गया है। यदि यही स्थिति रही तो देर रात तक गंगा जल बाबा विश्वनाथ के दरबार में प्रवेश कर सकता है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चलाई जा रही हैं। असि घाट, शीतला घाट, दशाश्वमेध घाट और सामने घाट जैसे प्रमुख स्थल जलमग्न हैं।
नगवा की गंगोत्री विहार और अन्य कॉलोनियों में पानी घुस चुका है। करीब 50 घरों से लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। रामेश्वर मठ, साकेत नगर, बालाजी नगर, सनबीम एकेडमी, कबीर मठ और ज्ञान प्रवाह जैसे क्षेत्रों में भी पानी भर गया है। वरुणा नदी के किनारे कोनिया घाट से सारनाथ को जोड़ने वाला एक पुल बाढ़ के पानी से क्षतिग्रस्त होकर बह गया है, जिससे वहां यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। यह पुल शहर में प्रवेश के लिए अहम मार्ग माना जाता है।
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गई है। जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। राहत के लिए 46 शिविर चिह्नित किए गए हैं, जिनमें से 20 सक्रिय हैं। इन शिविरों में लोगों को भोजन, दूध, फल, ओआरएस, क्लोरीन टैबलेट और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं बाढ़ प्रभावित इलाकों में 1765 क्विंटल भूसा वितरित किया गया है। राहत कार्यों में 42 नावें और एनडीआरएफ की 8 मोटर बोट्स लगाई गई हैं।
Published on:
03 Aug 2025 09:32 pm