Rakshabandhan Special: धार्मिक नगरी उज्जैन में यू तो कई प्राचीन मंदिर स्थापित है। वैसे तो यहा का प्रत्येक कंकर ,शंकर का स्वरूप है। ऐसा ही एक मंदिर इस धार्मिक नगरी उज्जैन में है, जहां पर रक्षा बंधन पर्व पर भाई-बहन की मूर्तियों का पूजन किया जाता है l इस दिन को बड़ी संख्या में युवावर्ग भाई-बहन प्रेम मंदिर में दर्शन पूजन कर रक्षा बंधन मनाते हैं l समाजसेवी डॉ. कैलाश नागवंशी ने भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक स्वरुप मंदिर बनवाया है l
इस मंदिर का निर्माण शांति पैलेस के पीछे नए ब्रिज के पास जीवनखेड़ी गांव में किया गया है। सामाजिक कल्याण समिति जीवनखेड़ी के संस्थापक डॉ. कैलाशचंद्र नागवंशी ने बताया कि सिंहस्थ महापर्व में विश्व के प्रथम भाई-बहन मंदिर का बनाया गया था। डॉ नागवंशी का कहना है कि इस दिन भाई-बहन प्रेम मंदिर (Bhai Behen Prem Mandir) में बड़ी संख्या में युवावर्ग दर्शन पूजन करने मंदिर पहुंचते है। (mp news)
भगवान गणेश जी के पुत्र शुभ और लाभ दोनों रक्षाबंधन वाले दिन पिता से जिद कर बैठे कि उन्हें भी राखी बंधवानी है। शुभ और लाभ की कोई बहन नहीं थी। दोनों पुत्रों की विनती सुनकर गणेश ने कहा कि तुम शोक मत करो, मैं अभी तुम्हें बहन प्रदान करता हूं। तब गणेशजी ने त्रिशूल से मां संतोषी को प्रकट कर शुभ-लाभ के लिए रक्षाबंधन के दिन उनसे दोनों पुत्रों को राखी बांधने को कहा। इस प्रकार माता संतोषी शुभ और लाभ की बहन हुई। इन्हीं भाई-बहन का ये मंदिर उज्जैन में तैयार किया गया है। (mp news)
देश का प्रथम भाई बहन प्रेम मंदिर गुरुदेव महामण्डलेश्वर युगपुरुष स्वामी एवं चारधाम मंदिर के अध्यक्ष, हरिद्वार के अखंड परमधाम के महाराज परमानंद जी महाराज की कृपा से इस मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर का उपदेश वर्ष में एक बार रक्षाबंधन के दिन का पट खुलते हैं और पहली राखी बहन संतोषी मां अपने भाई शुभ और लाभ को बनती है। उसके बाद समूचे देश में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता हैl
Published on:
08 Aug 2025 09:44 am