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141 कोर्स में एक भी एडमिशन नहीं, 35 में 5 से कम प्रवेश, रिजल्ट में देरी

- एक साथ कोर्स बढ़ाने से पेंच में फंसी विक्रम यूनिवर्सिटी, कद बढ़ाने के चक्कर में फंस गए कुलपति, गिर रहा ख्यातनाम विवि का ग्राफ

No admition between many new course in Vikram VV UJN MP
No admition between many new course in Vikram VV UJN MP

पत्रिका एक्सक्लूसिव

अतुल पोरवाल

उज्जैन.
विक्रम विश्वविद्यालय के कुल 238 कोर्स में से 141 में अब तक एक भी एडमिशन नहीं मिल सका। वहीं 35 पाठ्यक्रम ऐसे हैं, जिनमें प्रवेशित छात्रों की संख्या 5 से भी कम है। बता दें कि यूनिवर्सिटी का बड़ा रूप दिखाने के लिए पिछले दो साल से लगातार कोर्स बढ़ाए जा रहे हैं। अब से ठीक तीन वर्ष पूर्व 53 पाठ्यक्रम की यूनिवर्सिटी अब 238 कोर्स की हो गई, लेकिन कागजों पर। अधिकांश कोर्स में छात्रों की रुचि नहीं होने से वे केवल संख्या दिखाने के काम आ रहे हैं। कोर्स बढ़ाने से ना तो समय पर परीक्षा हो पा रही हे और ना ही रिजल्ट जारी हो पा रहे। ऐसे में छात्र परेशान होकर आंदोलित होने को मजबूर हैं।

क्रिमिनोलॉजी में एक भी एडमिशन नहीं
बीए ऑनर्स क्रिमिनोलॉजी पाठ्यक्रम में अब तक एक भी एडमिशन नहीं हो सका है। विक्रम विवि में इसी तरह कई यूजी, पीजी, डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट के कई ऐसे पाठ्यक्रम हैं, जिनमें लाख प्रयास के बावजूद एक भी छात्र इंटरेस्ट नहीं ले रहा है। विवि से मिली जानकारी के मुताबिक कुल जमा २३८ कोई में से १४१ में एक भी प्रवेश नहीं हो सका, जबकि कई कोर्स ऐसे हैं, जिनमें एक से ३ छात्रों के प्रवेश पर अतिथि शिक्षक विवि का खर्च बढ़ा रहे हैं। एक ओर जहां नई शिक्षा नीति के तहत मातृ भाषा हिंदी और हमारी पौराणिक संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं बीए ऑनर्स संस्कृत विषय में अब तक केवल एक ही छात्र ने प्रवेश लिया है। इसके साथ ही जनसंचार का बीए ऑनर्स मास कम्यूनिकेशन एंड जर्नलिज्म कोर्स में भी केवल एक ही विद्यार्थी को पढ़ाया जा रहा है। कम एडमिशन के कारण अब तक विवि में तीसरी बार एडमिशन की तारीख बढ़ाई गई है।

कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय से सीधी बात
सवाल- एक साथ सैकड़ों पाठ्यक्रम बढ़ाने का क्या कारण है।
जवाब- नई शिक्ष नीति के तहत विश्वविद्यालय के कोर्स बढ़ाए गए हैं।
सवाल- क्या नई शिक्षा नीति में कोर्स बढ़ाने का दबाव है।
जवाब- नहीं ऐसी कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन जरूरत के पाठ्यक्रम नहीं होने से हमारे यहां के छात्रों को पढ़ाई करने कहीं ओर जाना पड़े यह हमारे लिए ठीक नहीं है।
सवाल- कई कोर्स में अब तक एक भी एडमिशन नहीं हो सका, क्या कारण है।
जवाब- कई पाठ्सक्रमों में सीयूटी से एडमिशन होना है। वैसे भी कोर्स शुरू करने के बाद पांच साल तक छात्रों का इंतजार करना पड़ता है। जरूरी नहीं कि कोर्स शुरू करते ही छात्रों को उनके बारे में पता चल जाए और वे एडमिशन ले लें।
सवाल- क्या नए कोर्स शुरू करने से विवि का खर्चा नहीं बढ़ रहा है।
जवाब- ऐसा नहीं। जिन पाठ्यक्रमों में एडमिशन हो गए हैं उनके लिए ही अतिथि शिक्षक रखे जा रहे हैं।
सवाल- जिन पाठ्यक्रम में पांच से कम छात्र हैं, उनके लिए अतिथि शिक्षक रखने से विवि का नुकसान नहीं हो रहा है।
जवाब- अब कोर्स शुरू किए हैं तो छात्रों को पढ़ाने की जवाबदारी भी है। ऐसे में नुकसान नहीं देखा जा सकता है।
सवाल-कोर्स बढ़ाने के बाद विद्यार्थियों को सूचना जारी करने में क्यों पिछड़ रहे हैं।
जवाब- हमारे पास इतना फंड नहीं कि इनका विज्ञापन करें। जैसे-जैसे छात्रों को नए पाठ्यक्रम की जानकारी मिलती जाएगी, वे एडमिशन लेते रहेंगे।
सवाल- क्या संख्या दिखाने के लिए एक साथ इतने कोर्स बढ़ाए गए।
जवाब- पाठ्यक्रम केवल छात्रों को आत्मनिर्भर व रोजगरोन्मुखी बनाने के लिए शुरू किए गए हैं।
सवाल- क्या कारण है कि छात्रों को नए पाठ्य़क्रमों में रुचि नहीं है।
जवाब- ऐसा नहीं, अब कोर्स शुरू किए तो एडमिशन भी होंगे। हो सकता है उन्हें कई कोर्स के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी हो।
सवाल- क्या कोर्स बढ़ाने से समय पर परीक्षा नहीं हो रही है। रिजल्ट में देरी का कारण भी ज्यादा कोर्स तो नहीं।
जवाब- देखिए चुनाव के कारण इस बार रिजल्ट में देरी हो गई। साथ ही कई विषयों की परीक्षा भी इसी वजह से लेट हो गई है।