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लंपी वायरस..दो लाख 65 हजार गौवंश में से 26930 को ही लग सका टीका

- उपलब्ध के अभाव में दम तोड़ रहा पशुधन, संभाग में सबसे आगे नीमच जिला

Lampi virus more effective In Ujjain MP
Lampi virus more effective In Ujjain MP

अतुल पोरवाल

उज्जैन.
लंपीस्कीन (गांठदार त्वचा) रोग मवेशियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है, जो पॉक्सविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होता है। इस बीमारी के चलते पशुधन के शरीर पर बड़ी मात्रा में लगभग २.५-२.५ सेंमी की गांठें हो जाती है। इससे पशु इतना परेशान हो जाता है कि दुग्ध उत्पादन कम पड़ जाता है। उज्जैन जिले में २ लाख ६५ हजार गौवंश हैं, लेकिन अब तक केवल २६९३० को ही टीका लग सका है। कारण केवल यह कि वैक्सीन बनाने वाली केवल दो ही कंपनियां हैं, जो आपूर्ति पूरी नहीं कर पा रही है। हालांकि नीमच जिले में अब तक ३९५७३ पशुओं का वैक्सीनेशन हो चुका है, जो राहतभरी खबर है, लेकिन वैक्सीनेशन में देरी के चलते पशुओं की मृत्यु भी हो रही है, जिससे पशुपालक घबराए हुए हैं। इधर इस बीमारी से ग्रसित गायों से दुग्ध उत्पादन में गिरावट आ रही है, जिससे पशुपालक आर्थिक मार भी झेल रहे हैं।

क्या है लंपी और इससे क्या प्रभाव
लंपी वायरस को नीथलिंग वायरस भी कहते हैं। इस रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें होती हैं। इस रोग के चलते त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली (श्वसन और जठरांत्र संबंधी मार्ग सहित) पर बुखार, शरीर पर बड़ी संख्या में लगभग 2.5 सेंटीमीटर की गांठें निकलना जैसी प्रतिक्रिया होती है। संक्रमित मवेशी भी अपने अंगों में सूजन कर लंगड़ापन प्रदर्शित कर रहे हैं। प्रभावित मवेशियों की त्वचा को स्थायी नुकसान हो रहा है, जिससे उनका व्यावसायिक मूल्य कम होता जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस बीमारी के कारण पुरानी दुर्बलता, कम दूध उत्पादन, बछड़ों का खराब विकास, गायों में बांझपन, गर्भपात और कई मवेशियों की मृत्यु हो रही है।

संभागीय रिपोर्ट
पशुपालन विकास विभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार २३ सितंबर तक की स्थिति..

जिला प्रभावित गांव प्रभावित गौवंश मृत वैक्सिनेटेड मवेशी
रतलाम २५१ ११४२ ०९ ३०३६०
उज्जैन १७१ ९२२ १६ २६९३०
मंदसौर ४३३ ११८७ २४ २६४७२
नीमच २१२ ६७० १८ ३९५७३
आगर ०३० ७९ ०२ ९६३७
शाजापुर ००१ १० ०० ६६४३
देवास ००० ०० ०० ६३६३

वर्तमान में लंपी वायरस का असर केवल गौवंश पर दिखाई दिया है। संीााग की बात करें तो देवास व शाजापुर सुरक्षित हैं, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित पशु मंदसौर जिले में मिले हैं। वैक्सीनेशन का कार्य लगातार जारी है।यह बात जरूर है कि वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता नहीं होने से बचाव कार्य धीमा है, लेकिन जल्द ही इसमें सुधार होगा। हमारी पूरे संभाग पर नजर है और अधिनस्थों को लगातार काम करने और पशुपालकों को सूचना पहुंचाने के निर्देश हैं। हम पशुपालकों के साथ लगातार संपर्क में हैं और सभी पशु हाट पर पाबंदी लगा दी है।
-एनके बामनिया, संयुक्त संचालक पशुपालन विभाग