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उदयपुर में क्यों नहीं बरस रहे बदरा? मानसून की सुस्ती के पीछे ये 7 वैज्ञानिक वजहें बन रही हैं बाधा

राजस्थान के उदयपुर जिले में इस साल अभी तक फिलहाल मानसून की रफ्तार सुस्त है। जिले में कहीं कम तो कहीं तेज बारिश जरूर हुई, लेकिन औसत से कम रही। कम बारिश के पीछे ये सात वजहें जान लीजिए।

Udaipur monsoon crisis
Udaipur monsoon crisis (Patrika Photo)

उदयपुर: इस साल उदयपुर बेसिन और उससे सटे क्षेत्रों में मानसून की रफ्तार बेहद सुस्त रही है। पिछले एक पखवाड़े से कहीं हल्की, कहीं खंडित तो कहीं-कहीं तेज वर्षा जरूर हुई, पर समग्र रूप से बारिश की मात्रा औसत से कम रही है। इस असमानता के पीछे मौसम वैज्ञानिकों ने सात वैज्ञानिक और भौगोलिक कारण बताए हैं, जो मानसून की सामान्य सक्रियता में बाधा बन रहे हैं।


उदयपुर सहित दक्षिणी राजस्थान में मानसून की यह धीमी चाल न सिर्फ किसानों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि जलाशयों, कुओं और जल प्रबंधन योजनाओं पर भी असर डाल रही है। मौसमविद् प्रो. नरपत सिंह राठौड़ का कहना है कि अगले 10 दिन में कोई मजबूत मानसूनी प्रणाली सक्रिय नहीं हुई तो वर्षा में कमी दर्ज हो सकती है।


कम बारिश के पीछे ये हैं 7 वजहें


-दक्षिणी अरावली में निम्न वायुदाब नहीं बना


मानसून को सक्रिय होने के लिए दक्षिणी अरावली क्षेत्र में निम्न वायुदाब बनना जरूरी होता है। इस बार यहां न तो पर्याप्त ऊष्मा बनी, न आर्द्रता के साथ घने बादल, जिससे स्थानीय वर्षा के लिए अनुकूल वायुदाब प्रणाली नहीं बन सकी। यह मानसून के कमजोर रहने का बड़ा कारण रहा।


-निचले अधोमंडल में विपरीत हवाएं नहीं चलीं


आमतौर पर मानसून के दौरान निचले और ऊपरी वायुमंडल में हवाओं की दिशाएं विपरीत होती हैं, जिससे बादलों को ऊपर उठने में मदद मिलती है। इस बार निचले अधोमंडल में ऐसी स्थिति नहीं बनी और ऊर्ध्वाधर उठाव नहीं हो पाया, जिससे बादल होते हुए भी बारिश नहीं हो सकी।


-अरब सागरीय हवाएं नहीं पहुंच पाई


अमूमन अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवा पश्चिमी भारत में बारिश में अहम भूमिका निभाती है। इस बार ये हवाएं दक्षिणी अरावली (उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा) तक नहीं पहुंची। हवाओं का रुख ऊपर नहीं चढ़ा, जिससे पहाड़ों से टकराकर वर्षा कराने वाली प्रक्रिया विफल रही।


-बंगाल खाड़ी की शाखा मध्य भारत में अटकी


बंगाल की खाड़ी की मानसूनी हवाएं पूर्वी भारत से मध्य तक आकर राजस्थान में प्रवेश करती हैं। इस बार ये हवाएं मध्य भारत में ही ठहर गईं, मेवाड़ तक नहीं पहुंची। इससे उदयपुर क्षेत्र को बंगाल शाखा से वर्षा का लाभ नहीं मिल पाया।


-सावन में पुरवाई नहीं चली


सावन में आमतौर पर पूर्वी हवाएं (पुरवई) चलती हैं, जो बंगाल की खाड़ी से नमी लाती है। इस बार सावन में ये नहीं चली या कमजोर रही, जिससे नमी युक्त वातावरण नहीं बन पाया और वर्षा की संभावना कम हो गई। मेवाड़ में बारिश कराने में पुरवाई का बड़ा योगदान रहता है।


-बादल ऊपर नहीं उठे और हवाएं कमजोर


इस बार उदयपुर और आसपास में मानसूनी बादल तो आए, पर वे स्थिर रहे। न तो हवाएं ऊंचाई पर ले जाकर वर्षा करा सकीं और न ऊपरी हवा ठंडी होकर गिरी। इससे बादल तैरते रहे, पर वर्षा नहीं हुई। यह मानसून को निष्क्रिय बनाती है।