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राजस्थान के इस गांव में हुआ था जलियांवाला बाग जैसा नरसंहार, 1200 किसानों की हुई थी शहादत

दे दी हमें आजादी: महात्मा गांधी ने विजयरसिंह के मार्फत तेजावत का आत्मसमर्पण कराया। तेजावत ने आंदोलन में किसानों का राजनीतिक चेतना जागृत करने का प्रयास किया।

मोतीलाल तेजावत (1885-1963) फोटो: पत्रिका

Motilal Tejawat Nimda Massacre: राजस्थान-गुजरात बोर्डर पर इडर के पास स्थित नीमड़ा गांव में जलियावाला बाग जैसा नरसंहार हुआ, जिसमें 1200 किसान मारे गए थे।यहां का नेतृत्व मोतीलाल तेजावत ने किया था।

साल था 1921… विजयनगर रिसासत के नीमड़ा गांव में एक सभा का आयोजन किया गया। अंग्रेजों को इस सभा की जानकारी मिली। उन्हें बताया गया कि सभा अंग्रेजों के खिलाफ षड्यंत्र रचने के लिए बुलाई गई है। उस दौरान अंग्रेजी हुकुमत में मेजर शटन ने सभा पर गोलीबारी के आदेश दिए। किसानों ने कुएं में कूदकर जान बचाने की कोशिश की। किसानों की शहादत से पूरा कुआं भर गया। अंग्रेजों के इस हमले में मोतीलाल तेजावत को गोली लगी, लेकिन कुछ सहयोगी उन्हें बचाकर सुरक्षित स्थान पर ले गए।

इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि मोतीलाल तेजावत ने जनजाति अंचल के लोगों में क्रांति का संचार किया। कोल्यारी में जन्मे तेजावत झाड़ोल क्षेत्र के कामदार थे। आदिवासी अंचल में राजनैतिक जागरण लाने के लिए पहले सूत्रधार मोतीलाल तेजावत रहे।

आदिवासियों के मसीहा…

तेजावत के नेतृत्व वाले आंदोलन को भोभट, भील और एकी आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। आंदोलन का आगाज चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडियां से किया। कुरीतियों से दूरी, शोषण के खिलाफ संघर्ष के लिए योगदान दिया। इसीलिए उन्हें आदिवासियों का मसीहा भी कहा जाता था।

"बड़े दादा कहा करते थे – शोषण के खिलाफ संघर्ष हमेशा करना चाहिए। सभी के अपने अधिकार हैं।"
– विजय तेजावत