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बागड़ी बोली में पढ़ाई का रास्ता खुला: नौनिहाल अब बींटी, गोडो,आंगली बोलकर सीखेंगे

राजस्थान शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने जिलेवार बनाई शब्दावली, 24 जिलों की भाषाओं में 10 हजार से अधिक शब्द शामिल कृष्ण चौहान

  • श्रीगंगानगर.अब बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाई का अनुभव मिलेगा। राजस्थान शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आरएसईआरटी) उदयपुर ने राज्य के 24 जिलों के लिए स्थानीय बोलियों की शब्दावली तैयार की है। इस नवाचार के तहत श्रीगंगानगर जिले में बागड़ी बोली के 414 शब्दों का चयन किया गया है, जबकि हनुमानगढ़ जिले के लिए 1102 शब्द शामिल किए गए हैं। ये शब्दावली हिंदी और अंग्रेजी अर्थ के साथ होगी ताकि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के लिए पढ़ाई सहज हो सके।बोलियों के माध्यम से पढ़ाई के इस प्रयास का उद्देश्य बच्चों को उनके परिवेश के अनुसार पढ़ाई से जोडऩा है। भाषा का बदलाव कई बार बच्चों के समझने और संवाद में रुकावट बनता है, जिसे यह नवाचार दूर करेगा। परिषद की निदेशक के अनुसार बच्चा जन्म से जो भाषा सीखता है, वह स्कूल में किताबों की भाषा से अलग होती है, जिससे पढ़ाई में रुचि घटती है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह पहल शुरू की गई है।

जिला स्थानीय भाषा विद्यार्थी प्रतिशत शिक्षक प्रतिशत

  • श्रीगंगानगर बागड़ी 56.34 प्रतिशत 32.93 प्रतिशतहनुमानगढ़ बागड़ी 68.69 प्रतिशत 62.97 प्रतिशत
  • बीकानेर मारवाड़ी 81.27 प्रतिशत 39.47 प्रतिशत

नई शिक्षा नीति

  • स्थानीय बोली में पढ़ाई से बच्चों का कॉन्सेप्ट बेहतर बनता है। नई शिक्षा नीति में भी इसका विशेष महत्व है। यह पहल बच्चों की भाषा और पढ़ाई दोनों में रुचि बढ़ाएगी।
  • भूपेश शर्मा, जिला समन्वयक, विद्यार्थी परामर्श केंद्र, श्रीगंगानगर

सांस्कृतिक जुड़ाव भी बनाए रखेगा

  • छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में स्थानीय बोलियों में शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। यह प्रयास बच्चों को न केवल सहज शिक्षा देगा बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव भी बनाए रखेगा।
  • गिरजेशकांत शर्मा, सीडीइओ व प्राचार्य, डाइट, चूनावढ़, श्रीगंगानगर