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साहित्य परिवर्तन नहीं लाता, उसके लिए जमीन तैयार करता है : विष्णु नागर

वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु नागर ने कहा है कि केवल साहित्य की ताकत से परिवर्तन की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आप किसी भी युग की बात कर लें, साहित्य परिवर्तन नहीं लाता, उसके लिए जमीन तैयार करता है। प्रेमचंद के समय भी यही हुआ। नागर ने यह विचार श्रीगंगानगर में सृजन सेवा […]

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नागर को सृजन साहित्य सम्मान भी अर्पित किया गया।

नागर को सृजन साहित्य सम्मान भी अर्पित किया गया।

वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु नागर ने कहा है कि केवल साहित्य की ताकत से परिवर्तन की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आप किसी भी युग की बात कर लें, साहित्य परिवर्तन नहीं लाता, उसके लिए जमीन तैयार करता है। प्रेमचंद के समय भी यही हुआ। नागर ने यह विचार श्रीगंगानगर में सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम 'लेखक से मिलिए' में उपस्थित श्रोताओं से संवाद के दौरान व्यक्त किए। आज के युवाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें समाज की चिन्ता नहीं है, क्योंकि उनकी अपनी चिन्ताएं बहुत हैं। भले ही उनके पास करोड़ों के पैकेज हैं, लेकिन काम का बोझ इतना है कि उन्हें कुछ भी और सोचने का समय नहीं मिलता।

कार्यक्रम में नागर ने अपनी व्यंग्य कविताओं के माध्यम से सत्ता और व्यवस्था पर खूब कटाक्ष किए। उनकी कविताओं में स्त्री और सामंतवादी सोच पर भी करारी चोट की गई थी। कार्यक्रम में एडवोकेट चरणदास कंबोज, सुरेंद्र सुंदरम्, अरुण उर्मेश और डॉ. कृष्ण कुमार आशु ने सवालों के उन्होंने सहजता से जवाब दिया।

किया सम्मान

इस मौके पर नागर को सृजन साहित्य सम्मान भी अर्पित किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष बार संघ के पूर्व अध्यक्ष इंद्रजीत बिश्नोई, विशिष्ट अतिथि समाजसेवी रवि सरावगी, चरणदास कम्बोज, भूरामल स्वामी, विजय गोयल व विनोद गुप्ता ने शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक व पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया। सचिव कृष्णकुमार 'आशु' ने नागर का परिचय दिया। आभार अध्यक्ष अरुण शहैरिया'ताइर' ने जताया। संचालन संदेश त्यागी ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद थे।