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अध्ययन में खुलासा: नियांडरथल लोगों की भी खाने की तैयारी में अपनी अलग पसंद थी

दो गुफाओं की हड्डियों के विश्लेषण से पता चला – एक ही जानवर को अलग-अलग तरीकों से काटा गया


जयपुर। रसोई में सबसे ज्यादा बहस इस बात पर होती है कि प्याज को काटने का सही तरीका क्या है। अब वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हमारे प्रागैतिहासिक पूर्वजों – यानी नियांडरथल – के भी खाने की तैयारी में अपनी-अपनी अलग पसंद और तकनीकें थीं।

इजरायल के उत्तरी हिस्से की दो गुफाओं से मिली जानवरों की हड्डियों के अध्ययन में पता चला है कि लगभग एक ही समय में रहने वाले दो अलग-अलग नियांडरथल समूह एक ही जानवर को अलग-अलग तरीकों से काटते थे।

यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता एना-एल जैलॉन, जो इस शोध की मुख्य लेखिका हैं, ने कहा –
“इसका मतलब यह है कि पूरे नियांडरथल समुदाय में भी कई ऐसे समूह थे जिनकी चीजें करने की अपनी अलग आदतें थीं, चाहे वह जीवन बचाने से जुड़ी गतिविधियां ही क्यों न हों।”

यह शोध जर्नल फ्रंटियर्स इन एनवायरनमेंटल आर्कियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
जैलॉन और उनकी टीम ने 70,000 से 50,000 साल पुरानी अमूद गुफा से मिली 249 हड्डियों और 60,000 से 50,000 साल पुरानी केबारा गुफा से मिली 95 हड्डियों का अध्ययन किया।

दोनों गुफाएं करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर हैं और नियांडरथल लोग सर्दियों में यहां रहते थे। दोनों समूह फ्लिंट (चकमक पत्थर) से बने समान औजारों का उपयोग करते थे।

टीम के विश्लेषण में यह भी सामने आया कि अमूद गुफा में जली हुई और टूटी-फूटी हड्डियां ज्यादा पाई गईं। दोनों समूहों का भोजन लगभग समान था – जैसे पहाड़ी गज़ेल और हिरण।
हालांकि, केबारा गुफा में बड़े जानवरों जैसे जंगली बैल (ऑरॉक्स) की हड्डियां ज्यादा मिलीं। जैलॉन ने कहा कि यह भी संभव है कि अमूद गुफा में बड़े जानवरों को काटने का काम कहीं और किया गया हो।

काटने के निशान में अंतर
अमूद और केबारा गुफाओं से क्रमशः 43 और 34 हड्डियों के निशानों का गहराई से अध्ययन किया गया। शोध में पता चला कि एक ही प्रकार के जानवर और एक ही अंग पर काम करने के बावजूद काटने की शैली अलग थी।

जैलॉन ने कहा –
“जब हम सिर्फ गज़ेल की लंबी हड्डियों की तुलना करते हैं, तो अमूद की हड्डियों पर ज्यादा और आपस में क्रॉस होती कट मार्क्स हैं, जबकि सीधी लकीरों वाली कट मार्क्स कम हैं। कई निशान वक्र (curved) हैं।”

टीम का मानना है कि इसकी वजह अलग-अलग तकनीकें, शव काटने में लोगों की संख्या का फर्क, या मांस के खराब होने की स्थिति में काटने का तरीका हो सकता है।

“यह या तो खाने की पसंद हो सकती है, जो काटने के अलग तरीकों की वजह बनी, या फिर मांस काटने की सीखने की अलग परंपरा हो सकती है,” जैलॉन ने कहा।

विशेषज्ञों की राय
यूनीवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉ. मैट पोप, जो इस शोध से जुड़े नहीं थे, ने कहा –
“यह अध्ययन बताता है कि अलग-अलग नियांडरथल समूहों के औजार बनाने और उपयोग करने के अलग-अलग तरीके थे। ये कट मार्क्स सिर्फ निशान नहीं हैं, बल्कि नियांडरथल लोगों की हरकतों और जीवनशैली के संकेत हैं, जैसे गुफा की दीवार पर बने हाथों के निशान।”

उन्होंने कहा –
“भविष्य में और शोध इन कारणों को बेहतर समझने में मदद करेंगे, लेकिन यह अध्ययन याद दिलाता है कि नियांडरथल कोई एकसमान संस्कृति नहीं थे। वे अलग-अलग समूहों में, अलग-अलग समय और जगहों पर, एक ही धरती पर रहते थे और उनके जीवन जीने के तरीके भी काफी अलग हो सकते थे।”