जयपुर। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने की वजह से आने वाले 100 वर्षों में 500 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं।
नई शोध में यह पाया गया कि अगर इंसानों द्वारा किए जा रहे नुकसान को पूरी तरह रोक भी दिया जाए, तो भी लगभग 250 प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग की शोधकर्ता केरी स्टीवर्ट ने कहा, "कई पक्षी इतने संकट में हैं कि सिर्फ इंसानी दखल को रोकने से उनकी रक्षा नहीं की जा सकती। उन्हें बचाने के लिए विशेष प्रयास, जैसे प्रजनन कार्यक्रम और आवास पुनर्स्थापना, ज़रूरी हैं।"
शोध में पाया गया कि बड़े आकार वाले पक्षी शिकार और जलवायु परिवर्तन से ज्यादा प्रभावित होते हैं, जबकि चौड़े पंखों वाले पक्षी अपने आवास खोने की वजह से ज्यादा संकट में हैं।
यूके (ब्रिटेन) की कुछ प्रजातियां भी खतरे में हैं, जैसे:
कुछ अन्य दुर्लभ पक्षी, जो प्रवास के दौरान यूके में रुकते हैं, जैसे:
अन्य संकटग्रस्त पक्षियों में शामिल हैं:
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि संरक्षण कार्यों को किस तरह प्राथमिकता दी जाए ताकि अधिकतम प्रजातियां और उनके पर्यावरणीय योगदान बचाए जा सकें।
प्रोफेसर मैनुएला गोंजालेज़-सुआरेज़ ने कहा, "सिर्फ खतरे रोकने से काम नहीं चलेगा। लगभग 250–350 प्रजातियों को अतिरिक्त प्रयासों की जरूरत है, जैसे प्रजनन कार्यक्रम और आवास पुनर्निर्माण।"
उन्होंने बताया कि अगर सिर्फ 100 सबसे अनोखी और संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाया जाए, तो पक्षियों की विविधता का 68% हिस्सा संरक्षित किया जा सकता है।
शोध में निष्कर्ष निकाला गया कि प्राकृतिक आवासों को नष्ट होने से रोकना सबसे ज़रूरी कदम है। इसके अलावा शिकार कम करना और अनजाने में होने वाली मौतों को रोकना भी विशेष रूप से उपयोगी रहेगा।
यह अध्ययन प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका नेचर इकोलॉजी एंड एवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है।
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हाल ही हुए एक सर्वे में पाया गया कि ब्रिटेन के बागों में स्टार्लिंग पक्षियों की संख्या 1979 से अब तक 85% घट चुकी है, जबकि वुडपिजन की संख्या 1160% तक बढ़ी है।
धातु प्रदूषण का खतरा:
सीसा (lead), जिंक और आयरन जैसे भारी धातु पक्षियों के शरीर में ज़हर पैदा कर सकते हैं। इससे उन्हें प्यास लगती है, पानी उगलना, कमजोरी, कंपकंपी और अंगों को नुकसान जैसी समस्याएं होती हैं।
Published on:
27 Jun 2025 05:26 pm