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सीतापुर में योगी सरकार के मंत्री के साथ अभद्रता, बिजली विभाग का JE निलंबित

Sitapur misbehavior with minister, JE suspended सीतापुर में बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर को निलंबित कर दिया गया है। मामला मंत्री के साथ अभद्रता करने का है। बिजली मंत्री के नाराजगी के बाद अधीक्षण अभियंता ने यह कार्रवाई की है।

ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री एके शर्मा (फोटो सोर्स- एक्स)
(फोटो सोर्स- एक्स)

Sitapur misbehavior with minister, JE suspended सीतापुर में उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री सुरेश शाही के साथ अविवेकपूर्ण व्यवहार करने पर बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को संदेश दिया गया है कि जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ असभ्य व्यवहार के गंभीर परिणाम होंगे। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

सीतापुर के हर गांव की घटना

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के हरगांव में प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री सुरेश शाही के साथ बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर ने अभद्रता की। जिसकी जानकारी होने पर ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री एके शर्मा ने नाराजगी व्यक्ति की और उन्होंने राज्य मंत्री सुरेश राही से बातचीत की। इसके बाद बिजली मंत्री ने यूपीपीसीएल (UPPCL) के अध्यक्ष और एमवीवीएनएल (MVVNL) एमडी को हिदायत दी कि इस घटना में नीचे से लेकर प्रबंधन तक की गलती दिखाई पड़ रही है। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। इस बात का ध्यान रखा जाए। अधिकारियों और कर्मचारियों जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनहीनता और कार्य में शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अवर अभियंता को किया गया निलंबित

विद्युत मंत्री की नाराजगी को देखते हुए अधीक्षण अभियंता राम शब्द ने बताया कि विद्युत उपखंड हरगांव के अवर अभियंता (Junior Engineer) रमेश कुमार मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। निलंबन की अवधि में रमेश कुमार मिश्रा को अवर विद्युत वितरण मंडल कार्यालय सीतापुर से संबद्ध किया गया है।

क्या कहते हैं अधीक्षण अभियंता?

अधीक्षण अभियंता ने अपने आदेश में बताया है कि 1912 पर पोर्टल पर मिली शिकायत का निस्तारण समय सीमा के अंदर नहीं किया गया। कोरैया गांव में स्थापित 63 केवीए का क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर को निर्धारित समय के अंदर नहीं बदल गया। शिकायत का निस्तारण समय से नहीं करने और जनप्रतिनिधि के प्रति अविवेकपूर्ण व्यवहार के कारण का प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया। जिसके कारण अनुशासनात्मक करवाई का मामला बनता है। तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। ‌