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बुद्धिवाद से घट रही महिलाओं में मिठास: कोठारी: गुलाब कोठारी

राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि स्त्री व पुरुष प्रकृति से अलग हैं। पुरुष में सूर्य तत्व के कारण अहं व उष्णता और स्त्री में सोम तत्व की वजह से मातृत्व व मिठास है।

सीकर

Sachin Mathur

May 07, 2025

सीकर. राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि स्त्री व पुरुष प्रकृति से अलग हैं। पुरुष में सूर्य तत्व के कारण अहं व उष्णता और स्त्री में सोम तत्व की वजह से मातृत्व व मिठास है। सूर्य के प्रतीक बुद्धिवाद से पुरुष अहंकार और स्त्री का संवेदनाओं की वजह से आत्मा से संबंध होता है। गर्भ में आकृति देने से लेकर जीव की प्रकृति व भविष्य तक स्त्री पर निर्भर करता है। अग्नि में सोम की आहूति से ही सृष्टि का सृजन होता है। पर आधुनिक शिक्षा प्रकृति की इस शिक्षा को छीन रही है। अब स्त्री भी बुद्धिवाद की तरफ बढ़ रही है। ऐसे में एक ही ध्रुव के होने पर स्त्री व पुरुष् के संबंधों की मिठास कम हो रही है। वे मंगलवार को पालवास रोड स्थित प्रिंस एनडीए संस्था में 'स्त्री देह से आगे' विषय पर तात्विक संबोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि स्त्री केवल शरीर नहीं है। उसमें ही वह गुण है कि वह पशु योनि से आए जीव को भी गर्भ में मनुष्य की आकृति देकर उसे संस्कारित कर उसके भविष्य निर्माण का जिम्मा संभालती है। अपने पूरे जीवन में कभी अपने लिए नहीं जीती। फल देने के लिए जमीन में गड़े पेड़ की तरह वह भी पुत्र तो कभी पति के लिए अपने अस्तित्व को भूल जाती है। ऐेस में सृष्टि निर्माण में स्त्री व पुरुष के मूल स्वरूप को पहचानकर शिक्षा को भी उसी आज उसी दिशा में मोड़ने की आवश्यकता है।

शिक्षा में विषय, संवेदना खत्म


कोठारी ने कहा कि आज की शिक्षा में केवल विषय पढ़ाए जा रहे हैं। उनमें तथ्यों पर तो ध्यान है, लेकिन व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत संवेदनाओं पर नहीं। इससे मानवता का स्तर गिर रहा है। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा बुद्धिमान तो बना रही है, लेकिन विवेकी व समझदार नहीं।

स्त्री त्रिकालदर्शी व तपस्विनी


प्रधान संपादक ने कहा कि स्त्री त्रिकालदर्शी होती है। कर्मफल सिद्धांत के अनुसार उसे गर्भ में आ रहे जीव के अतीत का अनुभव हो जाता है। उसके वर्तमान स्वरूप के साथ उसे अपने परिवार के हिसाब से उसके भविष्य की भी जानकारी होती है। जीव के शरीर निर्माण के समय वह कई तरह के अन्न का त्याग कर संयमपूर्वक जीने का तप भी करती है। कहा, ऐसी दिव्यता केवल स्त्री में ही होती है।

सवालों से शांत की जिज्ञासा

कार्यक्रम में शहर की महिलाओं व छात्राओं ने भौतिक व आध्यात्मिक जीवन से जुड़ी जिज्ञासाएं भी सवालों के जरिए शांत की। उनसे मिले जवाबों से समारेाह स्थल तालियों से गूंजता रहा।