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‘काकी खिलौने वाली’ व ‘मालपुओं के बंटवारे’ से गणित पढ़ेंगे बच्चे, लोकगीतों से जानेंगे राजस्थान

नए पाठ्यक्रम में गणित को आसानी से समझाने के लिए उसे खेल व संवाद शैली में तैयार किया गया है। जिसमें हर चीज समझाने के लिए चित्रों का सहारा भी लिया गया है।

सीकर

Sachin Mathur

Jul 21, 2025

नए पाठ्यक्रम के अनुसार सरकारी स्कूल में पढ़ते बच्चे।
नए पाठ्यक्रम के अनुसार सरकारी स्कूल में पढ़ते बच्चे।


सीकर. काकी खिलौने वाली, सरिता का जन्म दिन, स्कूल की सजावट, हमारे मांड़ने, मालपुओं का बंटवारा, बारात का स्वागत सरीखे पाठ सुनने में हिंदी विषय के लगते हैं, लेकिन प्रदेश में प्राथमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव के तहत ये अध्याय गणित विषय में पढ़ने को मिलेंगे। दरअसल, नए पाठ्यक्रम में गणित को आसानी से समझाने के लिए उसे खेल व संवाद शैली में तैयार किया गया है। जिसमें हर चीज समझाने के लिए चित्रों का सहारा भी लिया गया है। इससे कठिन माना जाने वाला ये विषय भी रोचक व सरल हो गया है। हालांकि शिक्षकों की मानें तो प्राथमिक कक्षाओं का अंग्रेजी का पाठ्यक्रम पहले से कुछ कठिन हो गया है।

बच्चों व परिवार की वार्ता से सीखेंगे गणित


कक्षा दो में खेत से तोड़कर लाई गई सब्जियों को गिनने के बच्चों के संवाद तो कक्षा तीन में सरिता के जन्म दिन पर उसके पापा द्वारा गिफ्ट में दिए गए पैंसिल के पैकेट को लेकर सरिता व उसके पापा की चर्चा से विद्यार्थी जोड़ सीखेंगे। इसी तरह कक्षा तीन में खिलौने वाली काकी के खिलौनों के बारे में बच्चों की बातचीत विद्यार्थियों को ज्यामीतिय आकृति की पहचान सिखाएगी। मालपुओं का बंटवारा, चलो दुकान चलें व बारात का स्वागत सरीखे पाठों ने भी गणित को रोचक बना दिया है।

राम,कृष्ण व तेजाजी भी पढ़ेंगे बच्चे

प्राथमिक कक्षाओं में बच्चे भगवान राम, कृष्ण व लोक देवता तेजाजी के बारे में भी पढ़ेंगे। इसके लिए कक्षा चार की हिंदी सुमन में कृष्ण की बाल लीला व कक्षा पांच की हिंदी सुमन में मर्यादा पुरुषोत्त्म राम व गौरक्षक लोक देवता का पाठ शामिल किया गया है। श्रवण कुमार व राजस्थान के बालवीर के रूप में हिंडौन के कुंभाराम व सुशीला की कहानी को भी हिंदी का हिस्सा रखा गया है।

लोक गीतों से राजस्थान का परिचय


कक्षा पांच के हिंदी विषय में पधारो म्हारे देश पाठ से राजस्थान का परिचय लोकगीतों से देने का भी नवाचार किया गया है। इसके लिए म्हारा छैल भंवर जी अलगौजा…ओ म्हारी घूमर छै नखराली.., कुण जी खुदाया नाड़ा नादिया.., कैला मईया के भवन में घुटवन.., नीले घोड़े रा असवार.., मत बाओ म्हारा परण्या जीरा..व तू छै कुरजा म्हारे गांव की सरीखे गीतों की पंक्तियों का उपयोग किया गया है।

पर्यावरण में बासेड़ा, अंग्रेजी कठिन

कक्षा पांच के पर्यावरण विषय में प्राणायाम व बासेड़ा की थाली सरीखे पाठ शामिल किए गए हैं। जबकि शिक्षकों की मानें तो अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में पहले के मुकाबले मिनिंग कुछ कठित शामिल किए गए हैं।

इनका कहना है:—


पांचवी तक के पाठ्यक्रम में खेल व संवाद शैली में होने से गणित पढ़ना बच्चों के लिए आसान रहेगा। पाठ्यक्रम में राजस्थान से संबंधित विषयों को ही प्राथमिकता दी गई है। हालांकि अंग्रेजी के मिनिंग पहले से कठिन है।
नोलाराम जाखड़, शिक्षक, राउप्रावि बल्लुपुरा, धोद।