
MP News: आपने विदेशों एवं फिल्मों में ही हेलिकॉप्टर से हांककर जानवरों को पकड़ने, रेस्क्यू करने के दृश्य देखे होंगे, लेकिन जब शाजापुर जिले में हिरणों की संख्या ज्यादा बढ़ गई और ये फसल नुकसानी का कारण बनने लगे तो इन्हें पकड़कर दूसरे स्थान पर छोड़ने के लिए योजना पर काम शुरू हुआ। ढाई वर्ष से ज्यादा समय तक इसकी तैयारी की गई। इसके बाद योजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। देश में इस तरह का अभियान पहली बार चल रहा है। दीपावली से लेकर अब तक १४८ कृष्णमृग को हेलिकॉप्टर से हांककर पकड़ा जा चुका है। ५ नवंबर तक यह प्रक्रिया जारी रहेगी।
क्षेत्र में कृष्ण मृग एवं रोजड़े से फसलों होने वाले नुकसान पहुंचाने की समस्या के निदान के लिए दक्षिण अफ्रीका की कंजर्वेशन सॉल्यूशंस एवं वन विभाग की टीम हेलिकॉप्टर और बोमा से कृष्णमृगों को पकड़ने का कार्य कर रही है। ढाई वर्ष पहले ८ अलग-अलग टीम ने जिले के हिरण प्रभावित ग्रामों का सर्वे किया। इसमें हिरणों के मूवमेंट की निगरानी की। १२-१२ घंटे की निगरानी करके रिपोर्ट तैयार की। इसको भोपाल भेजा। इसके आधार पर अभियान के क्रियान्वयन के लिए रूपरेखा तैयार की गई। सामग्री भी दो साल पहले से लाकर शुजालपुर में रखवा दी गई। बाद में टीम ने यहां पर निरीक्षण किया। हालांकि लंबे समय तक हेलिकॉप्टर किराये पर नहीं मिलने के कारण अभियान अटका रहा। अब अभियान को चलाया जा रहा है। कालापीपल व शुजालपुर में एक विशेष हेलिकॉप्टर की मदद से काले हिरण पकड़े जा रहे हैं। तीन दिन में टीम ने १४८ काले हिरण रेस्क्यू कर मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य भेजे हैं।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत शाजापुर जिले के शुजालपुर एवं कालापीपल को चुना है। यहां पर ५ नवंबर तक अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान ४५० काले हिरण व १०० नीलगायों को रेस्क्यू करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें सफलता मिलने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों से वन्यप्राणियों को पकड़ा जाएगा।
हेलिकाप्टर से विशेषज्ञ उड़ान भर रहे हैं। इसकी सतह से हेलिकॉप्टर की ऊंचाई बहुत कम है। हेलिकॉप्टर को कम ऊंचाई पर एक निश्चित दिशा में उड़ाया जा रहा है। इससे उसकी आवाज से नीलगाय व काले हिरण एक और भागते हैं। इनको जिस ओर हांका जा रहा है। उस ओर पहले से बोमा पद्धति से एक क्षेत्र को कवर्ड किया गया हुआ है। इस तरह कवर्ड क्षेत्र का एक सिरा वन्यप्राणियों को रेस्क्यू करने वाले वाहनों में जाकर खुल रहा है। ऐसे में हेलिकॉप्टर से लगाए जाने वाले हांका से नीलगाय व काले हिरण वाहनों में प्रवेश करने को बाध्य हो जाते हैं। इसके बाद जब ये वाहन में प्रवेश कर लेते हैं इन्हें मंदसौर जिले के गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा जा रहा है।
प्रदेश के कई जिलों में नीलगाय व काले हिरण जैसे वन्यप्राणी फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसे लेकर किसान काफी परेशान हैं। लंबे समय से इन्हें पकड़ने की मांग हो रही है। इस पर वन विभाग ने २.८५ लाख रुपए प्रति घंटे से विशेष हेलिकॉप्टर किराये पर लिया है। इसकी मदद से यह अभियान चलाया जा रहा हैं।
वनमंडलाधिकारी देवास एवं अभियान प्रभारी वीरेंद्रसिंह पटेल ने बताया गुरुवार को शाजापुर जिले के कालापीपल तहसील के लसुडि़या घाघ एवं निपनिया खुर्द में बोमा लगाया। लसुडिय़ाकलां, निपनिया खुर्द, बदरपुर, पोचनेर से ६९ कृष्णमृगों को पकड़ा। इनको पकड़ने के कारण किसानों को होने वाले फसल नुकसान में कमी आएगी। इस तरह का देश में ये प्रथम अभियान है। अभियान ०५ नवंबर तक चलेगा।शाजापुर विधानसभा में भी चलेगा यह अभियानअभियान में मुख्य वन संरक्षक उज्जैन एमआर बघेल गुरुवार को बोमा क्षेत्र में उपस्थित रहकर कृष्णमृगों को पकड़ने की कार्रवाई की निगरानी एवं पर्यवेक्षण किया। कार्रवाई में शाजापुर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने सहयोग दिया। इसके साथ ही आसपास के ग्रामवासियों से अपील की गई कि आने वाले दिनों की कार्रवाई के दौरान खेतों में जब हेलिकॉप्टर से हांका लगाया जा रहा है तो कृष्णमृगों के पीछे ना भागें। साथ ही आग्रह किया गया कि जब अभियान चल रहा है तो रास्तों में गाडि़यों में ना घूमें। आने वाले दिनों में यह अभियान शाजापुर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में चलाया जाएगा। साथ ही साथ नीलगायों को भी पकड़कर अन्य वन क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा।
Published on:
24 Oct 2025 10:05 am
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