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सवाईमाधोपुर: रौद्र रूप में नजर आई मोरेल नदी, वर्ष 1981 में हुए थे ऐसे हालात

Morel River : मोरेल बांध में क्षमता से अधिक पानी की आवक होने से गुरुवार को मोरेल नदी तेज उफान के साथ बही।

मलारना डूंगर. बहतेड़ मोरेल नदी का विकराल रूप। फोटो पत्रिका

मलारना डूंगर। मोरेल बांध में क्षमता से अधिक पानी की आवक होने से गुरुवार को मोरेल नदी तेज उफान के साथ बही। अचानक बढ़े जलस्तर से किनारों पर मिट्टी का कटाव हो गया, कई जगह खेत नष्ट हो गए। सैकड़ों पेड़ बह गए। कई जगह नदी का बहाव क्षेत्र बदल गया।

बता दें कि इससे पहले इस तरह के हालात साल 1981 में नजर आए थे, तब मोरेल नदी में पानी बढ़ने से इसका विकराल रूप दिखा था। तब मोरेल बांध में अचानक पानी की आवक बढ़ने से बांध टूट गया था। निचले इलाकों में बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ था। जनहानि हुई थी। बुजुर्गों की माने तो एक बार फिर अतिवृष्टि से बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। हालांकि बांध पूरी तरह सुरक्षित है।

दोपहर बाद आई राहत भरी खबर

मोरेल बांध की ओवफ्लो पानी की चादर गुरुवार सुबह 11 बजे तक जहां 4 फीट के ऊपर चल रही थी। वहीं दोपहर एक बजे जलस्तर गिरकर 3 फीट 10 इंच रह गया। बांध के निचले इलाकों के लिए यह राहत भरी खबर है। जलसंसाधन विभाग लालसोट सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि मोरेल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे हुआ है। बांध में पानी की आवक कम हुई है। ऊपरी इलाकों में बारिश का दौर थमा तो, डाउनस्ट्रीम में भी मोरेल नदी का जलस्तर कम होगा।

यह मार्ग है बंद, आवागमन के लिए लम्बा इंतजार

गंगापुरसिटी-सवाईमाधोपुर को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भाड़ौती-मथुरा मेगा हाइवे बहतेड़ मोरेल नदी में कटने से एक पखवाड़े से पूरी तरह बंद है। इसी तरह निमोद-टिगरिया के बीच सड़क कटने से एक महीने से आवागमन बंद है। मलारना डूंगर-मायापुर के बीच रपट पर पानी होने से रास्ता बंद हो गया।


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