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रणथंभौर में हुआ कुछ ऐसा कि विंडो छोड़ भागे कर्मचारी, 150 से अधिक पर्यटक निराश होकर लौटे

Ranthambore National Park: रणथम्भौर में वर्तमान में पर्यटन सीजन पीक पर है। बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पार्क भ्रमण के लिए आ रहे हैं।

Ranthambore National Park

Sawai Madhopur news: सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर में वर्तमान में पर्यटन सीजन पीक पर है। बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पार्क भ्रमण के लिए आ रहे हैं। रणथम्भौर बाघ परियोजना में शनिवार को वीकेण्ड होने के कारण पर्यटकों की आवक में अधिक वृद्धि देखी गई। ऐसे में आवासन मण्डल मार्ग स्थित वन विभाग के बुकिंग कार्यालय पर पर्यटकों की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान वन विभाग का टिकट का कोटा फुल हो जाने के कारण करीब 150 पर्यटकों को पार्क भ्रमण पर जाने के लिए टिकट ही नहीं मिल सके। ऐसे में बड़ी संख्या में पर्यटक निराश होकर लौट गए।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रणथम्भौर में पर्यटकों की आवक अधिक होने के कारण आवासन मण्डल मार्ग स्थित वन विभाग की बुकिंग विण्डो पर करंट ऑनलाइन में टिकट के लिए पर्यटकों की लम्बी कतार लग गई। आलम यह था कि विण्डो के बाहर करीब पांच सौ से अधिक पर्यटक टिकट के लिए कतार में लगे थे। इस दौरान टिकट पूरे होने पर पर्यटक बिफरने लगे तो कर्मचारी विंडो बंदकर भाग गए।

हालांकि, पर्यटकों की आवक अधिक होने के कारण वीआइपी कोटे में आरक्षित पांच पर्यटन वाहनों में भी जिप्सी की संख्या को घटाकर कैंटरों की संख्या में इजाफा किया गया था, लेकिन इसके बाद भी वन विभाग की ओर से सभी पर्यटकों को पार्क भ्रमण पर नहीं भेजा जा सका।

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पर्यटन सीजन में हर बार निराश लौटते हैं पर्यटक

रणथम्भौर में टिकट नहीं मिलने पर पर्यटकों के परेशान होने का यह कोई पहला मामला नहीं हैं। इससे पहले भी इस प्रकार के कई बार मामले सामने आ चुके है। जब से 2016 से रणथम्भौर की बुकिंग को पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया है, तब से एनटीसीए की ओर से जारी की गई वाहनों की लिमिट के कारण कई बार पर्यटक पार्क भ्रमण पर जाने से वंचित रहना पड़ता है। ऐसे में पर्यटक यहां आकर परेशान रहते हैं।

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इनका कहना है…

वीकेंड होने के कारण शनिवार को पर्यटकों की आवक अधिक थी। विभाग की ओर से अधिक से अधिक पर्यटकों को पार्क भ्रमण पर भेजने के लिए कैंटर में इजाफा किया गया था, लेकिन इसके बाद भी कई पर्यटक पार्क भ्रमण पर नहीं जा सके। ऐसे में कुछ पर्यटकों ने हंगामा किया था। बाद में समझाइश से मामला शांत हो गया।
-प्रमोद कुमार धाकड़, उपवन संरक्षक (पर्यटन), रणथम्भौर बाघ परियोजना।


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