सतना। शहर के नामी विद्यालय किस कदर शिक्षा के मंदिर को गोरखधंधे का केन्द्र बनाकर विद्यार्थियों के अभिभावकों को लूटने का कारोबार कर रहे हैं इसका अब आधिकारिक खुलासा हो गया है। किताबें एक ही दुकान में मिले इसके लिए स्कूल संचालकों और पुस्तक विक्रेताओं ने सुनियोजित षड़यंत्र रचा। स्थिति यह रही कि विद्यालय संचालक ने अपने यहां चलने वाली स्कूलों की जानकारी काफी पहले पुस्तक विक्रेता को दे दी। जिसके बाद पुस्तक विक्रेता ने प्रकाशक को किताबों का आर्डर दे दिया। इसके बाद जाकर स्कूल ने इनकी बुकलिस्ट सार्वजनिक की। इसका नतीजा यह हुआ कि संबंधित किताबें एक ही विक्रेता के यहां उपलब्ध रहीं। एसडीएम सिटी राहुल सिलाडिया ने इस खेल को पकड़ने के बाद अपना जांच प्रतिवेदन अग्रिम कार्यवाही के लिए कलेक्टर को भेज दिया है।
क्रिस्तुकुला का सामने आया गठजोड़
क्रिस्तुकुला मिशन हायर सेकण्डरी स्कूल का पुस्तक विक्रेता अभय बुक एण्ड स्टेशनर्स से गठजोड़ उजागर हुआ है। एसडीएस सिटी की जांच में पाया गया है कि अभय बुक एण्ड स्टेशनर्स प्रकाशक रचना सागर को कक्षा छठवी, सातवीं और आठवीं की किताबों का आर्डर 10 फरवरी को दे दिया था। इधर डीईओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार क्रिस्तुकुला स्कूल ने अपनी बुक लिस्ट कलेक्टर के 18 फरवरी को जारी आदेश के बाद जारी की। स्पष्ट है कि स्कूल ने बुक लिस्ट सार्वजनिक करने से पहले किताबों की पूरी सूची अभय बुक एण्ड स्टेशनर्स को सौंप दी। जिसके आधार पर उसने किताबें प्रकाशक से मंगा ली। जब किताबें आ गई तो स्कूल ने बुक लिस्ट जारी की। इसका नतीजा यह रहा कि विद्यार्थियों की किताबें सिर्फ अभय बुक एण्ड स्टेशनर्स के यहां उपलब्ध थी। यह खेल एक दुकान से किताब मिलने के लिए किया गया। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेखित किया गया है कि अभय एवं आदर्श स्टेशनरी ने विद्यालयों द्वारा पुस्तकों की सूची जारी करने के पहले ही पब्लिशरों को आर्डर कर चुके थे। जो स्कूल संचालकों और पुस्तक विक्रेताओं की मिलीभगत का संकेत करते हैं।
सेंट माइकल ने बदल दी किताबें
एसडीएम सिटी की जांच में पाया गया कि सेंट माइकल स्कूल ने जारी बुक लिस्ट में बाद में परिवर्तन किया गया। जिससे अभिभावकों को असुविधा तो हुई ही साथ ही पुन: किताबों की खरीदी करनी पड़ी।
एनसीईआरटी की जगह महंगी रेफरेंस बुक
जांच में पाया गया है कि कई स्कूल संचालकों ने एनसीईआरटी पुस्तकों की जगह निजी प्रकाशकों की रेफरेंस पुस्तकें बुक लिस्ट में शामिल की गई हैं। गुरुकुल विद्यालय तो ऐसा रहा कि इसकी संबद्धता एमपी बोर्ड से हैं लेकिन उसकी बुक लिस्ट में आईसीएसई बोर्ड की पुस्तकें शामिल की गईं। ज्यादातर बुक लिस्ट में आईएसबीएन कोड उल्लेखित नहीं होने से ये किताबें आनलाइन भी नहीं मिल सकती है।
एसडीेएम ने माना कमीशन का खेल
एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि विद्यालय प्रशासन एवं पुस्तक विक्रेताओं के बीच कमीशन आधारित व्यवस्था संचालित है। जो विद्यार्थियों और अभिभावकों के हितों के विरुद्ध है। जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने सभी विक्रेताओं के स्टाक रजिस्टर एवं आर्डर तिथियों की जांच करने, अभिभावकों के बयान लेकर दुकान विशेष के नाम सुझाने की जानकारी लेने, वाणिज्यिक कर विभाग की सहायता से विक्रेताओं द्वारा पब्लिशर को किए गए भुगतान, प्राप्त डिस्काउंट एवं कैश ट्रांजेक्शन की जांच की जाए। डीईओ द्वारा एनसीईआरटी से इतर निजी प्रकाशकों की किताबें बुक लिस्ट में शामिल करने की वैधानिकता एवं औचित्य की जांच कराई जाए।
Updated on:
12 Apr 2025 10:41 am
Published on:
12 Apr 2025 10:34 am