6 अगस्त 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

जहां प्रदेश का पहला डेयरी विस्थापन प्रोजेक्ट, वहां एक साल में मवेशी के हमले से चौथी जिंदगी खत्म

8 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी शहर नहीं हुआ कैटल फ्री सागर. सागर में डेयरी विस्थापन प्रोजेक्ट पूरी तरह से नाकाम हो गया। नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट पर 8 करोड़ रुपए खर्च कर दिए है तब भी शहर को पशु मुक्त यानी कैटल फ्री नहीं बना पाए। यही वजह है कि सड़क […]

सागर

Nitin Sadaphal

Aug 01, 2025

डेयरी विस्थापन प्रोजेक्ट
डेयरी विस्थापन प्रोजेक्ट

8 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी शहर नहीं हुआ कैटल फ्री

सागर. सागर में डेयरी विस्थापन प्रोजेक्ट पूरी तरह से नाकाम हो गया। नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट पर 8 करोड़ रुपए खर्च कर दिए है तब भी शहर को पशु मुक्त यानी कैटल फ्री नहीं बना पाए। यही वजह है कि सड़क हादसों के साथ अब मवेशियों के हमले इंसानी जिंदगी छीन रहे हैं।

मोतीनगर क्षेत्र के वल्लभनगर निवासी सीताराम की मौत ने एक बार फिर नगर निगम के डेयरी विस्थापन प्रोजेक्ट पर सवाल उठा दिए हैं।एक साल में हुईं 4 मौतें हो चुकीं हैं, जिसमें से एक नगर निगम का आउटसोर्स कर्मचारी भी था। वहीं नगर निगम हर दिन 10-15 मवेशियों को पकड़ने का दावा कर रहा है। जबकि 1100 से अधिक सांड अब भी सड़कों पर हैं और 260 से अधिक डेयरियां शहर में संचालित हो रहीं हैं। इनकी वजह से सड़कों पर रोज हादसे हो रहे हैं।

सागर में ही एक साल में अब तक चार मौत

- 25 जुलाई को बहेरिया क्षेत्र की 75 वर्षीय महिला चिरौंजी बाई को सांड ने उठा कर फेंक दिया गया। बुजुर्ग को गंभीर हालत में बीएमसी में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसे भी नहीं बचाया जा सका।
- 10 माह पहले नगर निगम के पशु कैचर वाहन में तैनात आउटसोर्स कर्मचारी तिली निवासी 38 वर्षीय राजेश चौरसिया को सांड ने पेट में सींग मार दिया था। राजेश के कई ऑपरेशन हुए और अंत में 3 माह बाद उसकी मौत हो गई।
- एक साल पहले बड़ा बाजार 68 वर्षीय सोनी समाज के बुजुर्ग की सांड के हमला में मौत हो गई थी।

पुलिस रेकॉर्ड में मर्ग कायम विवेचना में सब रफा-दफा

गुरुवार की घटना के बाद मोतीनगर थाना प्रभारी जसवंत सिंह ने मर्ग जांच शुरू की है। इसके पहले कोतवाली थाना, बीएमसी चौकी में इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन जांच के बाद कोई भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है। मवेशियों के हमले में न तो मवेशी के मालिक कानून के दायरे में आ पा रहे हैं और ना ही नगर निगम प्रशासन जो कई प्रकार के टैक्स लेकर शहरवासियों को सुविधा देने की जिम्मेदारी से बचता है।

कागजों में 212 डेयरी के 1100 मवेशी शहर से बाहर, 700 आवारा मवेशी पकड़े

नगर निगम के अतिक्रमण अमले ने पिछले एक साल में 700 आवारा मवेशियों को शहर से पकड़कर बाहर किया है। शहर की 212 डेयरी के 1100 मवेशियों को रतौना विस्थापन स्थल तक पहुंचाया गया है। जबकि हकीकत ये है कि हर दिन 25 से अधिक शिकायतें मवेशियों को लेकर आ रहीं हैं। कलेक्टर ने इसके लिए आसपास की 3 गो-शाला चिन्हित की हैं, जहां मवेशियों को भेजा जा रहा है, लेकिन यह मवेशी वापिस कैसे आ जाते हैं, यह सवाल बना हुआ है।

गाय शिफ्ट नहीं करा पाए अब नंदी शाला का प्रोजेक्ट

रतौना स्थित डेयरी विस्थापन स्थल पर नगर निगम शहर से डेयरी विस्थापन नहीं कर पाया है। डेयरी विस्थापन में रियायत दरों पर दिए गए प्लॉट आवंटन ने धांधली के आरोप लग चुके हैं। आरोप हैं कि नेताओं ने अपने चहेतों को 20 रुपए वर्गफीट में 6 से 8 हजार वर्गफीट के प्लॉट उपलब्ध करा दिए, जबकि पात्र डेयरी संचालकों को आवंटित नहीं हुए। वहीं दूसरी तरफ अब नगर निगम ने नंदी शाला के लिए 4 एकड़ का 5 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया है, जिसकी राशि स्वीकृति के प्रयास किए जा रहे हैं।

सीधी बात: राजकुमार खत्री निगमायुक्त

सवाल- एक और शहरवासी की मवेशी के हमला में मौत हो गई, क्या इसकी जिम्मेदारी नगर निगम लेगा?
जवाब- हम लगातार डेयरी संचालकों को समझाइश व नोटिस की कार्रवाई करते हैं, हाल में तिली क्षेत्र की 7 डेयरी संचालकों पर जुर्माना लगाया है। मवेशी समाज का ही हिस्सा हैं, उन्हें व्यवस्थित तरीके से विस्थापित किया जाएगा।
सवाल- डेयरी विस्थापन स्थल पर 2-3 डेयरी ही चल रहीं हैं, जबकि शहर में 200 से ज्यादा, इससे क्या यह प्रोजेक्ट विफल नहीं कहा जाएगा?
जवाब- कुछ और सुविधाएं पशु पालकों को उपलब्ध कराई जा रहीं हैं, उसके बाद सभी डेयरियां शिफ्ट की जाएंगी।
सवाल-प्लॉट आवंटन में धांधली के आरोप लगे हैं, निगम के जनप्रतिनिधियों ने अपने चहेतों को प्लॉट दिए हैं, फिर पात्र हितग्राही को कैसे मिलेंगे?
जवाब- मामला सामने आने के बाद प्लॉट आवंटन का सर्वे कराया गया है, अपात्रों को चिन्हित किया जा रहा है, उन्हें नोटिस दिए गए हैं।
सवाल- नगर निगम रोज मवेशियों को पकड़ रहा है, एक साल में 1500 से अधिक पशु पकड़े गए फिर सड़कों पर मवेशी कहां से आए?
जवाब- गायों को हम चिन्हित गो-शाला में भेजते हैं, जहां पशु मालिक जुर्माना भरकर वापिस ले आते हैं। सांड को शहर से दूर छोड़ा जाता है लेकिन वहां से लोग उन्हें फिर शहर की तरफ भगा देते हैं।
सवाल- शहरवासियों को कब तक आवारा मवेशियों से मुक्ति मिलेगी?
जवाब- डेयरी विस्थापन स्थल पर डेयरियां पहुंचाई जाएंगी। सांड को रखने की व्यवस्था भी की जा रही है। अभी वैकल्पिक तौर पर हमने कुछ काजी हाउस भी चिन्हित किए हैं।