
अधूरा पड़ा विधी महाविद्यालय का भवन
बीना. शासकीय विधी महाविद्यालय के लिए कई वर्षों के इंतजार के बाद मान्यता मिली थी और 180 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। महाविद्यालय के भवन का निर्माण पीपरखेड़ी गांव के पास हो रहा है, जो अभी अधूरा है। इसलिए कक्षाएं शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पुराने कक्षों में संचालित हो रही हंै, लेकिन वहां पर्याप्त जगह न होने से विद्यार्थी परेशान हैं। इसके लिए नए अतिरिक्त कक्षों की मांग की गई थी, लेकिन इसको लेकर खींचतान चल रही है। भवन न होने पर मान्यता पर छिनने का खतरा बना हुआ है।
विधी महाविद्यालय वर्ष 2023-24 से शुरू हुआ है और यह तीसरा वर्ष है। भवन न होने के कारण कक्षाएं स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पुराने तीन कमरों में संचालित हो रही हैं। विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा होने पर यहां बने अतिरिक्त कक्षों की मांग विधी महाविद्यालय के प्राचार्य ने स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य से की थी, जो उन्हें नहीं मिले हैं। कक्षों को लेकर खींचतान चल रही है और एसडीएम ने इस संंबंध में बैठक कर चर्चा की है, लेकिन फिर भी शनिवार तक कक्ष नहीं मिले थे। महाविद्यालय का भवन न होने सहित अन्य सुविधाओं के अभाव में विधी महाविद्यालय की मान्यता छिनने का खतरा बना हुआ है। क्योंकि बीसीआइ टीम का निरीक्षण कभी भी हो सकता है। वहीं, पीपरखेड़ी में बन रहे विधी महाविद्यालय भवन का निर्माण 2023 से चल रहा है, जो 759.59 लाख रुपए में तैयार होना है, लेकिन कार्य की धीमी गति से होने के कारण समय-सीमा निकलने के बाद भी भवन अधूरा है। अगले वर्ष ही यह भवन तैयार हो पाएगा। यदि यह भवन बन जाता, तो कक्षाएं संचालित करने में परेशानी नहीं होती।
भवन हो रहे खंडहर
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वर्षों पहले कन्या छात्रावास के लिए बनाए गए भवन बिना उपयोग के ही खंडहर हो गए हैं। यदि इन भवनों की सही तरीके से देखभाल होती, तो इनमें विधी महाविद्यालय संचालित हो सकता था, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। इन भवनों को जर्जर घोषित कर गिराने के पत्र लिखे जा रहे हैं।
दिसंबर तक का दिया है समय
विधी महाविद्यालय के भवन की समय-सीमा निकलने पर कार्य नहीं हो पाया है, जिससे दिसंबर तक का समय ठेकेदार को दिया गया है। करीब 70 प्रतिशत काम हो चुका है और दिसंबर तक भवन तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है।
केके कोरी, एसडीओ, पीआइयू
नहीं मिले कक्ष
महाविद्यालय संचालित करने अतिरिक्त कक्ष नहीं मिले हैं, जिससे पुराने कक्षों में ही कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही हैं। बीसीआइ टीम का निरीक्षण कभी भी हो सकता है और भवन, सुविधाएं न होने पर मान्यता छिनने का खतरा रहेगा।
डॉ. आनंद सिंह, प्राचार्य, विधी महाविद्यालय
सौंप दी है चाबी
अतिरिक्त कक्षों की चाबी प्राचार्य को सौंप दी है और जो भी जरूरत है उसे पूरा किया जाएगा। क्योंकि बड़ी मशक्कत के बाद विधी महाविद्यालय को मान्यता मिली है। पूरा स्टाफ का सहयोग रहेगा।
डॉ. रेखा बरेठिया, प्राचार्य, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बीना
Published on:
02 Nov 2025 11:57 am
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