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हनुमंत कथा- गुरुदेव का आचरण और हनुमानजी के चरण पकड़ो, कभी धोखा नहीं खाओगे

- कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने लोगों को समस्या समाधान के बताए उपाय

Deepesh Tiwari

Sep 29, 2023

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बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा की जा रही दो दिवसीय हनुमंत कथा का समापन हो गया। इस मौके पर दोपहर में कथा स्थल पर ही दरबार लगाया गया था, जहां पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने लोगों की समस्याओं के समाधान के उपाय बताए। भोपाल के करोंद में गुरुवार को आयोजित इस कथा में उन्होंने हनुमान चालीसा की चौपाई- 'सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना' के माध्यम से हनुमंत भक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। अनंत चतुर्दशी के मौके पर कथा स्थल पर विसर्जन कुंड भी बनाए थे, जहां अनेक श्रद्धालुओं ने गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया।


पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भूत, भविष्य, वर्तमान पर हनुमानजी का अधिकार है। भूत बेकार हो गया, वर्तमान ठीक नहीं चल रहा तो घबराना मत हनुमानजी की शरण में आ जाना, भविष्य संवर जाएगा। सब सुख प्राप्त करना है तो गुरुदेव का आचरण और हनुमानजी के चरण पकड़ो।

निंदा उसी की होती है जो जिंदा है: निंदा से कभी घबराना नहीं चाहिए, क्योकि निंदा उसी की होती है, जो जिंदा है। निंदा करने वाले तुम्हारी प्रसन्नता से परेशान होते हैं। अगर कोई तुम्हारी निंदा कर रहा है तो यह समझो कि तुम्हारा जमीर अब भी उसके अंदर जिंदा है।


हनुमानजी पर सब कुछ छोड़ दो: धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि या तो आज से ही मंदिर जाना छोड़ दो या फिर आज से अभी से बागेश्वर हनुमानजी पर सब कुछ छोड़ दो। इसके बाद किसी पर्चे की जरूरत नहीं है। अगर जीवन में संकट आएंगे तो बालाजी आपके सामने आकर खड़े हो जाएंगे।

भजन गायिका मैथिली ठाकुर ने दी प्रस्तुति: कथा के विराम दिवस पर भजन गायिका मैथिली ठाकुर ने भजनों की मधुर प्रस्तुति दी।

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Hanumat Katha- हनुमान चालीसा को जीवन में उतारें न कि रटें, मिलेगी सफलता

इससे पहले बुधवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर ने जीवन में सफलता के सूत्र बताए, जिसके तहत उन्होंने कहा था कि...

- जीवन में सफलता चाहिए हनुमान जी के चरित्र को जीवन में उतार लेना चाहिए।

- सफल आदतें डालने से सफलता मिलती है। विफल आदतें डालने से विफलताएं।

- दौड़ते घोड़े और सूर्य का फोटो कमरे में लगाने से सफलता नहीं मिलती।

- सफलता मिलती है सूर्य उदय से पहले जागने में और घोड़े की तरह मेहनत करने में।

- हनुमान चालीसा को पढ़ना चाहिए रटना नहीं। राजधानी में राम रस भी होना चाहिए।

- हम कितनी भी उपलब्धि पा लें, मुस्कान सिर्फ रामरस को सुनने में आती है।