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Kajari Teej 2025: कजरी तीज का व्रत रख रहे हैं तो यहां जानें मुहूर्त और पूजा विधि से जुड़ी कुछ जरूरी नियम

Kajari Teej 2025: कजरी तीज सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और समर्पण की परंपरा है। इस पर्व में महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर पूर्ण आस्था और विधि-विधान से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह व्रत जीवन में सौभाग्य, सुख और समृद्धि लेकर आता है।

भारत

MEGHA ROY

Aug 11, 2025

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Kajari Teej 2025: हिंदी धर्म में कजरी तीज का विशेष महत्व है। यह पर्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, आस्था और समर्पण का प्रतीक भी है। कजरी तीज, जिसे बड़ी तीज या कजली तीज भी कहा जाता है, यह प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे खासकर उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भादों महीने में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। आइए जानते हैं कजरी तीज से जुड़ी कुछ जरूरी नियम और मुहूर्त के बारे में।

Kajari Teej: धार्मिक महत्व और मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। इसीलिए कजरी तीज का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में स्थिरता, प्रेम और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर नारी को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

कजरी तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त (Kajari teej 2025 shubh muhurat)

  • तृतीया तिथि प्रारंभ – 11 अगस्त 2025, सुबह 10:33 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त – 12 अगस्त 2025, सुबह 08:40 बजे
  • व्रत की तिथि (उदया तिथि के अनुसार) – 12 अगस्त 2025, मंगलवार
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 12 अगस्त, सुबह 11:52 बजे से 13 अगस्त, सुबह 05:49 बजे तक

कजरी तीज व्रत की पूजा विधि (Kajari teej puja 2025)

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।स्वच्छ पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें।पूजा स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लें ,पति की लंबी उम्र या मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत करने का संकल्प।
  • घर में पवित्र स्थान पर लकड़ी की चौकी पर लाल/पीला कपड़ा बिछाएं।भगवान शिव-पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • आवश्यक पूजन सामग्री जैसे - नारियल, सुपारी, कलश, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र,घी, कपूर, मिश्री, शहद, दूर्वा, अक्षत,16 श्रृंगार की वस्तुएं (सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, मेहंदी आदि) और दूध, दही, कच्चा सूत, पीले वस्त्र
  • माता पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करें।भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाएं।साथ ही घी का दीप जलाकर आरती करें।
  • पूजा के बाद कजरी तीज की कथा सुनना अनिवार्य है।कथा में पार्वती माता की तपस्या और शिवजी की कृपा का वर्णन होता है।
  • रात्रि में चंद्रोदय होने पर जल, दूध और अक्षत से अर्घ्य अर्पित करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद सत्तू और फल ग्रहण करके व्रत तोड़ें।

कजरी व्रत के दौरान पालन करने योग्य नियम (Kajari Teej 2025 Vrat Niyam)

  • यह व्रत निर्जला होता है—दिनभर जल का सेवन न करें।
  • झगड़ा, क्रोध और कटु वचन से बचें।
  • काले कपड़े और काले आभूषण न पहनें।
  • दिन में सोना वर्जित है—जागरण करें।
  • पूजन में लापरवाही या संकल्प तोड़ना अशुभ माना जाता है।
  • इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है—वस्त्र, फल, अनाज और दक्षिणा दान करें।