केलवा. क्षेत्र के श्रीमती फूली देवी अंशुल बोहरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के सपनों को भामाशाह ने पंख देने चाहे, लेकिन ठेकेदार की सुस्त चाल ने इन पंखों को जमींदोज कर दिया। भामाशाह द्वारा अनुदान में बनाए जा रहे नए कक्ष आज तक अधूरे हैं और बदहाली का आलम यह है कि ये कक्ष अब कक्ष नहीं, बल्कि गाय-भैंसों के अस्थायी आश्रय स्थल बन चुके हैं। विद्यालय परिसर में खड़े ये निर्माणाधीन कमरे अब चारों तरफ से गोबरशाला में तब्दील हो चुके हैं। फर्श से लेकर दीवारों तक गोबर ही गोबर बिखरा पड़ा है। जाहिर है, जिन कक्षों में बच्चों को भविष्य संवारने की पढ़ाई करनी थी, वहां अब मवेशी चरते हैं और गोबर करते हैं।
विद्यालय के छात्र शांतिलाल, रमेश, राजवीर, निर्मल कुमार, सीमा तेली, आकांक्षा, नव्या, उर्मिला, जानवी, महिमा कुमारी और रेखा कुमारी ने बताया कि निर्माण कार्य की कछुआ चाल से उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। विज्ञान की प्रयोगशाला और पुस्तकालय भी अधूरे बने कमरों में ही अटके हुए हैं, जिससे न तो प्रयोग हो पा रहे हैं और न ही किताबों से ज्ञानवर्धन। छात्रों ने बताया कि सरकार भले ही स्मार्ट क्लास की बात करती रहे, लेकिन उनके विद्यालय में आज तक स्मार्ट क्लास का एक दिन भी प्रयोग नहीं हुआ। बच्चे चाहते हैं कि उन्हें भी तकनीकी संसाधनों से पढ़ाया जाए, लेकिन हकीकत में यहां स्मार्ट क्लास का सपना सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है।
विद्यालय में कई बार वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन चारदीवारी के अभाव में पौधे मवेशियों के लिए चारा बनकर रह जाते हैं। आए दिन गाय-भैंसें परिसर में घुस आती हैं और पौधों को चर जाती हैं। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण और हरित परिसर का सपना भी अधूरा ही है।
ग्रामीणों और अभिभावकों ने इस स्कूल में भामाशाह के योगदान को सराहा था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि बच्चों को बेहतर पढ़ाई का माहौल मिलेगा, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही और जिम्मेदारों की अनदेखी ने सब पर पानी फेर दिया। अब बच्चे खुले आंगन में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं, वो भी तब जब बरसात के दिनों में यह आंगन भी कीचड़ में बदल जाता है।
इस मुद्दे पर कई बार पंचायत और प्रशासन को शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द निर्माण कार्य को पूरा करवाया जाए और स्कूल को चारदीवारी से सुरक्षित किया जाए, ताकि बच्चों को सही वातावरण मिल सके।
राज्य सरकार स्कूलों में स्मार्ट क्लास, डिजिटल एजुकेशन, ई-लाइब्रेरी और इन्नोवेशन लैब जैसी योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन केलवा के इस विद्यालय में आज भी बच्चे बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं।
Published on:
02 Aug 2025 11:47 am