राजसमंद. मुंडोल गांव के सरकारी स्कूल में वीरवार की सुबह कुछ अलग ही मंजर देखने को मिला। जैसे ही मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम लाल गौड स्कूल परिसर में पहुंचे, तो जर्जर दीवारों और गिरते छतों को देखकर उनका पारा चढ़ गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने साफ लफ्जों में चेताया कि अब कोई बहाना नहीं चलेगा, जो इमारत बैठने लायक नहीं, वो खड़ी रहने के काबिल भी नहीं!
स्कूल के खस्ताहाल कमरों को लेकर सीडीईओ ने संस्था प्रधान महेन्द्र सिंह झाला को फटकार लगाते हुए दो टूक कहा कि भूमिदोज प्रस्ताव की फाइल को अब धूल नहीं फांकने दूंगा। बच्चों की जान से बड़ा कोई कागज नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे कमजोर भवन बच्चों के लिए खतरा हैं और इन्हें जल्द से जल्द जमींदोज करना ही होगा। कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।
निरीक्षण के बाद स्कूल प्रांगण में एसएमसी (स्कूल प्रबंधन समिति) और एसडीएमसी (विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति) के सदस्यों के साथ बैठक बुलाई गई। गौड ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि कागजों पर खानापूर्ति का जमाना गया। अब बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों की खैर नहीं। उन्होंने विस्तार से बताया कि जर्जर भवन को गिराने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी, तकनीकी रिपोर्ट के बाद जिला स्तर की समिति फैसला करेगी और किसी को एतराज है तो वह 15 दिन के अंदर अपनी बात रख सकता है। लेकिन कोई अड़ंगा सुरक्षा के नाम पर बच्चों की जान से खिलवाड़ नहीं कर सकता।
सीडीईओ ने शिक्षकों को साफ निर्देश दिए कि माता-पिता को बच्चों की सुरक्षा को लेकर हर जानकारी दी जाए। अभिभावकों में भरोसा बना रहे कि उनका बच्चा सिर्फ सुरक्षित कमरों में पढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई कमरा कमजोर है तो उसमें एक पल भी पढ़ाई नहीं होगी, चाहे कुछ भी हो जाए।’
निरीक्षण और बैठक के दौरान एसएमसी सदस्य गिरिराज व्यास, किशन सिंह, प्राध्यापक पंकज मेवाड़ा, नीतिका खींची, वरिष्ठ अध्यापक ऋषिकेष मीणा, अशोक कुमावत, सुनीता मोदी, नीलम शर्मा, प्रमिला रानी समेत कई शिक्षक और गांव के लोग भी मौजूद रहे। गांव के लोगों ने भी सीडीईओ के सख्त रुख का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि अब बच्चों को किसी खंडहर जैसे कमरे में पढ़ने की मजबूरी नहीं रहेगी।
Updated on:
01 Aug 2025 12:01 pm
Published on:
01 Aug 2025 12:00 pm