केलवा (राजसमंद). प्रदेश के मार्बल व्यवसायियों ने सरकार की ओर से मार्बल रॉयल्टी में 25 प्रतिशत की अचानक बढ़ोतरी को लेकर हल्ला बोल दिया है। बढ़ती महंगाई, ई-रवन्ना, जीएसटी और अब रॉयल्टी में इजाफा—इन सबने मार्बल उद्योग से जुड़े लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। विरोध स्वरूप शुक्रवार सुबह से जिले की सभी मार्बल खदानों से मार्बल का लदान अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही व्यवसायी कलक्टर और विधायकों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर रॉयल्टी वृद्धि वापस लेने की मांग करेंगे।
गुरुवार को कस्बे में स्थित मार्बल माइंस ऑनर्स एसोसिएशन के कार्यालय में मार्बल पट्टाधारकों और व्यवसायियों की आपात बैठक हुई। अध्यक्ष गौरवसिंह राठौड़ की अगुवाई में हुई इस बैठक में सभी ने एकजुट होकर आंदोलन की घोषणा की। राठौड़ ने कहा कि "मार्बल उद्योग पहले ही पेट्रोल-डीजल, बिजली दरों, ई-रवन्ना और जीएसटी से त्रस्त है। अब रॉयल्टी 320 रुपए से बढ़ाकर 400 रुपए प्रति टन कर देना खनन व्यवसाय को झटका देगा।"
मार्बल व्यवसायी बताते हैं कि इस क्षेत्र में पहले ही मांग घटने और लागत बढ़ने से संकट के बादल हैं। ऐसे में सरकार द्वारा अचानक रॉयल्टी में 25% बढ़ोतरी ने उद्योग पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। उद्योग जगत का कहना है कि यदि यह वृद्धि वापस नहीं ली गई तो उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे खनन गतिविधियां ठप होने की कगार पर पहुंच जाएंगी और हजारों श्रमिकों की रोज़ी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो जाएगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि शुक्रवार सुबह से जिले की सभी मार्बल खदानों से पत्थर लोडिंग पूरी तरह बंद रहेगी। सभी खनन पट्टाधारी लदान नहीं करेंगे और अगली सूचना तक यह बंद जारी रहेगा। आंदोलन को सफल बनाने के लिए खदान संचालकों ने आपसी समन्वय से व्यापक रणनीति बनाने की बात कही।
आंदोलन के तहत शुक्रवार सुबह 10 बजे मार्बल व्यवसायी कलक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। साथ ही जिले के चारों विधायकों से भी मुलाकात कर रॉयल्टी वृद्धि का विरोध दर्ज करवाया जाएगा। एसोसिएशन के संरक्षक हरिसिंह राठौड़, तनसुख बोहरा, प्रद्यूमन सिंह, मानसिंह बारहठ, नानालाल सिंघल, मदन तेली, देवीलाल बुनकर, विकास कोठारी सहित बड़ी संख्या में व्यवसायी इस दौरान मौजूद रहेंगे।
व्यवसायियों का साफ कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो आंदोलन और उग्र होगा। पूरे जिले में कामकाज ठप रहेगा, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होगा। वहीं दूसरी ओर श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग भी इस निर्णय से प्रभावित होगा, जो रोज़ाना की मजदूरी पर निर्भर है।
मार्बल माइंस ऑनर्स एसोसिएशन ने कहा कि आंदोलन की आगे की रणनीति को लेकर जल्द ही फिर से बैठक बुलाई जाएगी। तब तक खदानों में लदान नहीं होगा और व्यवसायी एकजुट रहेंगे।
राजसमंद जिला देशभर में मार्बल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां से रोजाना सैकड़ों ट्रक मार्बल राजस्थान समेत देश के अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं। ऐसे में लदान बंद होने से प्रदेश के राजस्व के साथ-साथ स्थानीय व्यापार, परिवहन और मजदूरों पर भी व्यापक असर पड़ना तय माना जा रहा है।
Published on:
01 Aug 2025 11:53 am