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सरकारी डॉक्टरों की मनमानी! किसी का डर नहीं… रोकटोक नहीं होने से बेखौफ बैठे हैं क्लीनिक खोलकर

CG News: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में सरकारी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर को घर पर मरीजों का इलाज करने की छूट दी गई है।

सरकारी डॉक्टरों की मनमानी! किसी का डर नहीं... रोकटोक नहीं होने से बेखौफ बैठे हैं क्लीनिक खोलकर(photo-patrika)
सरकारी डॉक्टरों की मनमानी! किसी का डर नहीं... रोकटोक नहीं होने से बेखौफ बैठे हैं क्लीनिक खोलकर(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में सरकारी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर को घर पर मरीजों का इलाज करने की छूट दी गई है। डॉक्टर अपने निवास स्थान पर दवाखाना चला सकते हैं पर यहां तो मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल व जिला अस्पताल के डॉक्टर बेखौफ होकर घर की बजाए बाहर किसी व्यावसायिक परिसर में दवाखाना खोलकर दुकानदारी कर रहे हैं।

इन्हें किसी का डर भी नहीं है। बकायदा क्लीनिक के सामने बोर्ड में अपने नाम के साथ डिग्री भी चस्पा कर दिए गए हैं। इन पर आज तक नकेल नहीं कसी गई। इसी का नतीजा है कि सरकारी डॉक्टर क्लीनिक संचालित करने के साथ ही निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। इन डॉक्टरों के नाम से मरीजों को बुलाया जाता है।

CG News: रोकटोक नहीं होने से हौसले बुलंद

पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टरों के भरोसे ही शहर में निजी अस्पताल खुल रहे हैं। इनमें से कुछ डॉक्टरों का यहां शेयर भी है। बकायदा पार्टनर बनकर निजी अस्पतालों को आगे बढ़ाने काम कर रहे हैं, भले ही वेतन सरकार से ले रहे हैं।

पड़ताल करने पर पता चला कि एमसीएच के करीब हाइवे पर खुले निजी अस्पतालों में इन सरकारी डॉक्टरों की दिनभर आवाजाही है। रात को भी यहां सेवाएं देते हैं। इससे स्पष्ट है कि रात को ऑन कॉल ड्यूटी में रहते हैं और सेवाएं इन निजी अस्पतालों में देते हैं।

इस्तीफा देकर खोल लिए अस्पताल

इनमें से कुछ सरकारी डॉक्टरों ने तो पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए नौकरी से इस्तीफा देकर खुद का अस्पताल खोल लिया है। एमसीएच से पहले से ही संपर्क होने का फायदा उठाते हुए मरीजों को अपने अस्पताल तक लाने के लिए गुर्गे सक्रिय कर रखे हैं।

इधर मरीजों की जान जा रही

सरकारी डॉक्टर अस्पताल या फिर क्लीनिक खोलकर अपना फायदा देख रहे हैं और इधर सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान जा रही है। दरअसल डॉक्टर अपने अस्पताल या क्लीनिक में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ऑन कॉल ड्यूटी के बाद भी रात को राउंड पर नहीं जाते हैं। यही वजह है कि अक्सर रात को शिकायतें सामने आती हैं कि मरीजों के इलाज के लिए सीनियर डॉक्टर नहीं हैं। मरीजों के परिजन इसी बात पर ही हल्ला मचाते हैं।

लगातार खुल रहे नए अस्पताल

शहर में पहले गिनती के निजी अस्पताल संचालित हो रहे थे। वर्तमान में ४६ से ज्यादा निजी अस्पताल खुल गए हैं। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी तो सभी जानते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर में खुले निजी अस्पतालों को कौन ऑपरेट कर रहे हैं। शहर में तेजी के साथ हर क्षेत्र में निजी अस्पताल खुल गए हैं। यहां सरकारी डॉक्टर ही सेवा दे रहे हैं।

गलत कहा पर कार्रवाई नहीं कर रहे

प्रशासन को इसकी खबर हैै कि सरकारी डॉक्टर दवाखाना से लेकर अस्पताल तक खोलकर अपना फायदा देख रहे हैं। प्रशासन की ओर से सख्ती नहीं किए जाने का ही नतीजा है कि डॉक्टर एक-दूसरे को देखकर घर की बजाए बाहर दवाखाना संचालित कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से एक बार भी इस दिशा में सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं। इस वजह से मनमानी चल रही है।

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. यूएस चंद्रवंशी का कहना है कि सरकारी डॉक्टर अपने आवास में ओपीडी संचालित कर सकते हैं। बाहर दवाखाना खोलकर चलाना गलत है। यह नियमों के विपरीत है। कोई भी सरकारी डॉक्टर अस्पताल भी संचालित नहीं कर सकते।