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Cyclone Montha: चक्रवात “मोंथा” का असर, 1 नवंबर तक इस जिले में होगी भारी बारिश, IMD का येलो अलर्ट जारी

Cyclone Montha: मौसम विभाग ने जिले के लिए 1 नवंबर तक येलो अलर्ट जारी किया है, जिससे साफ है कि अगले दो दिन किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे।

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Rain Photo- Patrika

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Cyclone Montha: पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के चलते उठे चक्रवाती तूफान मोन्था का असर जिले में लगातार जारी है। पिछले तीन दिनों से मौसम में भारी बदलाव देखा जा रहा है, जिसके कारण जिलेभर में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। खासतौर पर गुरुवार को दिनभर आसमान में घने काले बादल छाए रहे और शहर सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में बारिश हुई।

बेमौसम हो रही बारिश के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई है। हरुना किस्म की धान की कटाई में जुटे किसानों को बारिश ने खासा नुकसान पहुंचाया है। वहीं, दलहन, तिलहन और सब्जी की फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। किसानों का कहना है कि इस अप्रत्याशित मौसम के कारण उनकी फसलें खेतों में गिर गई हैं और नमी बढ़ गई है, जिससे कटाई की प्रक्रिया में दिक्कतें आ रही हैं। कृषि विभाग ने नुकसान का सर्वे कराने की बात तो की है, लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है, जिससे किसानों की चिंताएं और बढ़ गई हैं।

तापमान में गिरावट, मौसम हुआ सुहाना

चक्रवाती तूफान मोन्था के असर से जिले में तापमान में गिरावट आई है। बारिश और सर्द हवाओं के कारण न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जबकि अधिकतम तापमान 28 डिग्री तक रिकॉर्ड किया गया है। इस मौसम में सर्दी का अहसास होने के साथ-साथ मौसम सुहाना हो गया है। मौसम विभाग ने जिले के लिए 1 नवंबर तक येलो अलर्ट जारी किया है, जिससे साफ है कि अगले दो दिन किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे।

जिले में इतने रकबे में खेती की जा रही

जिले में कुल 1 लाख 23 हजार पंजीकृत किसान हैं, और इस बार खरीफ सीजन में जिले में कुल 1 लाख 84 हजार 400 हेक्टेयर में खेती की गई है। इनमें से 1 लाख 72 हजार 600 हेक्टेयर में धान की खेती की गई है, जबकि 3720 हेक्टेयर में मक्का और कोदो कुटकी की बोआई की गई है। इसके अतिरिक्त 1295 हेक्टेयर में दलहन की फसल और 3340 हेक्टेयर में तिलहन की फसलें उगाई गई हैं।

धान की कटाई में लागत बढ़ेगी

बारिश के कारण धान की फसल गिरने के साथ-साथ खेतों की नमी भी बढ़ गई है, जिससे धान की कटाई में मुश्किलें आ रही हैं। किसानों को अब हार्वेस्टर मशीनों का उपयोग करना पड़ेगा, जो अधिक खर्चीला होगा। पहले से ही किसानों को कीट प्रकोप और फसल बीमारियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा था, अब बेमौसम बारिश ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

फसल बचाने पर ध्यान देना होगा

कृषि विभाग के अधिकारी टीकम ठाकुर का कहना है कि मौसम के इस उतार-चढ़ाव का असर किसानों के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, और आगामी दिनों में किसानों की समस्याओं का समाधान निकालना जरूरी होगा। वहीं, मौसम विभाग के ऐलो अलर्ट के बाद किसानों को अपनी तैयारियों को और तेज करने की आवश्यकता होगी।

किसान कर रहे हैं क्षतिपूर्ति की मांग

कर्ज लेकर खेती कर रहे किसानों का कहना है कि वे पहले ही कीट प्रकोप और फसल की बीमारियों से परेशान थे और अब बेमौसम बारिश के कारण उनकी फसलें खराब हो गई हैं। उन्होंने नुकसान की सर्वे रिपोर्ट जारी करने और क्षतिपूर्ति की राशि देने की मांग की है, ताकि वे आर्थिक संकट से उबर सकें।