World Organ Donation Day 2025: छत्तीसगढ़ में अंगदान के मामले में पहले से संख्या बढ़ी हैं, लेकिन तमिलनाडु व दूसरे राज्यों जैसी जागरूकता नहीं आई है। प्रदेश में अंगदान के लिए 203 आवेदन मिले हैं। इनमें केवल 27 लोगों में ट्रांसप्लांट पूरा किया गया है। त्वचा, कार्निया, लिवर जैसे 34 अंग दान में मिले हैं। अच्छी बात ये है कि प्रदेश में अब कैडेवर व ब्रेनडेड मरीजों से भी अंग लेने की पॉलिसी बन गई है और अंग लिए भी जा रहे हैं। इन्हें जरूरतमंदों में अंग ट्रांसप्लांट किया जा रहा है।
आने वाले दिनों में डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू होने वाली है। जरूरी उपकरण के लिए फंड पहले ही दिया चुका है। प्रदेश में सोटो यानी स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन का गठन हुए करीब तीन साल हो रहा है। सोटो बनने के बाद अंगदान के केस बढ़े हैं, हालांकि जरूरत की तुलना में काफी कम है। प्रदेश में सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट हो रहा। लिवर ट्रांसप्लांट की संख्या काफी कम है।
हालांकि प्रदेश के बड़े तीन निजी अस्पतालों में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा है। हार्ट व फेफड़े ट्रांसप्लांट की सुविधा प्रदेश के किसी भी अस्पताल में नहीं है। स्किन व कार्निया ट्रांसप्लांट भी किया जा रहा है, लेकिन ये ऑर्गन डोनेशन पॉलिसी में शामिल नहीं है। ये जीवित व्यक्ति में किया जाता है। जबकि ब्रेनडेड मरीज से हार्ट, फेफड़े, अग्नाशय, किडनी, लिवर व आंत निकालकर दूसरे मरीजों को लगाया जाता है। प्रदेश में नेत्रदान कॉमन है। सबसे ज्यादा कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा रहा है।
सोटो की वेबसाइट के अनुसार प्रदेश में ऑर्गन डोनेशन के लिए 18 अस्पताल पंजीकृत है। इनमें एम्स इकलौता सरकारी अस्पताल है। एक-एक अस्पताल भिलाई व बिलासपुर का है। बाकी 16 अस्पताल राजधानी के हैं, जिनमें 15 निजी है। 8 अस्पतालों ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पंजीयन कराया है। जबकि लिवर के लिए महज दो अस्पताल पंजीकृत है। लिवर ट्रांसप्लांट काफी क्रिटिकल होता है। हार्ट के लिए तीन बड़े निजी अस्पतालों का पंजीयन है। वहीं एम्स आने वाले दिनों में हार्ट ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने वाला है।
कॉर्निया 72
हार्ट-फेफड़े 4-6
लिवर 6-12
किडनी 30
आंत 6
अग्नाशय 6
किडनी 21
लिवर 06 (आंकड़े घंटों में)
किडनी 174
लिवर 27
अपर लिंब 02
ऑर्गन डोनेशन जरूरतमंद मरीजों के लिए बेहद जरूरी है। प्रदेश में पहले की तुलना में अंगदान तो बढ़ा है, लेकिन अब भी यह काफी कम है। अच्छी बात ये है कि अब कैडेवर व ब्रेनडेड मरीजों से भी अंग लिया जा रहा है। इससे कई मरीजों को नया जीवन भी मिला है। - डॉ. सुनील खेमका, डायरेक्टर, श्री नारायणा अस्पताल रायपुर
Published on:
13 Aug 2025 10:00 am