Assistance Dog Day: @ ताबीरहुसैन। ये कोई आम जानवर नहीं, पुलिस के खाकी वीर जांबाज हैं जो न सिर्फ सूंघ कर अपराधियों का सुराग पकड़ते हैं, बल्कि बम से लेकर वीआईपी सुरक्षा तक में अहम भूमिका निभाते हैं। 4 अगस्त को असिस्टेंट डॉग डे के मौके पर जब हमारी टीम ने पुलिस लाइन स्थित डॉग स्क्वाड का रुख किया तो वहां मौजूद हैंडलर्स नसीम ने इन खास डॉग्स की दुनिया से रूबरू कराया, जहां वफादारी, ट्रेनिंग और इंसान से जुड़ाव हर चुनौती को आसान बनाते हैं। ये खामोश साथी भले बोलते नहीं, लेकिन अपनी वफादारी और हुनर से हर बार साबित कर देते हैं कि अपराध रोकने में उनकी भूमिका इंसानों से कम नहीं।
वीआईपी सुरक्षा लेब्राडोर ब्रीड का बंटी, उम्र 10 साल, पिछले 3 साल से रायपुर में तैनात है। यह डॉग खासतौर पर वीवीआईपी मूवमेंट में अलर्ट रहता है और बड़े नेताओं या समारोहों में सुरक्षा की जिमेदारी संभालता है।
प्लेन और चॉपर की चेकिंग कोकर स्पेनियर ब्रीड का डेढ़ साल का मिस्टी, भिलाई से ट्रेनिंग लेकर आया है। यह छोटा लेकिन बेहद फुर्तीला डॉग है जो प्लेन और चॉपर की जांच जैसे संवेदनशील काम करता है। जहां बड़े डॉग नहीं पहुंच पाते, वहां मिस्टी आसानी से पहुंचकर तलाशी ले लेता है।
जर्मन शेफर्ड ब्रीड के लक्की और बादल चोरी और हत्या के मामलों में एक्सपर्ट हैं। ये अपराध स्थल पर मौजूद पदचिन्हों, खून के धब्बों और हथियारों जैसी चीजों को सूंघकर अपराधी तक पहुंचने में मदद करते हैं। हाल ही में खमतराई हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में इनकी अहम भूमिका रही। ये काफी फूर्तीले होते हैं।
हर डॉग को उसके काम के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। नारकोटिक्स डॉग को चरस, गांजा जैसी चीजों की गंध पहचानने की ट्रेनिंग मिलती है, जबकि बम, चोरी और मर्डर जैसे मामलों के लिए अलग स्किल सिखाई जाती है। ये डॉग्स जनता के बीच भी रहते हैं, इसलिए इन्हें आक्रामकता नहीं सिखाई जाती है बल्कि बॉडी लैंग्वेज और ट्रेनर से बॉन्डिंग के जरिए कमांड फॉलो करना सिखाया जाता है। ट्रेनिंग के बाद डॉग्स अपने हैंडलर का हर कहना मानते हैं।
खुराक: सुबह 750 एमएल दूध, शाम को 400 ग्राम मीट
मॉनिटरिंग: खुराक डॉक्टर की सलाह पर घटाई-बढ़ाई जाती है
चयन: डॉग्स की खरीद 5 आईपीएस अफसरों की कमेटी करती है
Updated on:
04 Aug 2025 02:13 pm
Published on:
04 Aug 2025 12:13 pm