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छग पाठ्य पुस्तक निगम में करोड़ों का घोटाला, तत्कालीन प्रबंधक मिंज के खिलाफ 2000 पन्नों का पूरक चालान पेश, जानें मामला

CG Text Book Corporation Printing Scam: पाठ्य पुस्तक निगम (पापुनि) में 3 करोड़ 61 लाख 99875 रुपए के घोटाले में तत्कालीन प्रबंधक (सेवानिवृत आईएएस) जोसेफ मिंज के खिलाफ बुधवार को 2000 पन्नों का पूरक चालान पेश किया।

छग पाठ्य पुस्तक निगम घोटाला (photo-unsplash)
छग पाठ्य पुस्तक निगम घोटाला (photo-unsplash)

CG Text Book Corporation Printing Scam: पाठ्य पुस्तक निगम (पापुनि) में 3 करोड़ 61 लाख 99875 रुपए के घोटाले में तत्कालीन प्रबंधक (सेवानिवृत आईएएस) जोसेफ मिंज के खिलाफ बुधवार को 2000 पन्नों का पूरक चालान पेश किया। इसमें 100 पेज की समरी में बताया गया है कि किस तरह से सिडिंकेट बनाकर घोटाला किया गया।

विशेष लोक अभियोजक डालेश्वर साहू द्वारा विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किए गए चालान में बताया गया है कि अपने करीबी पब्लिशर्स (फर्म) को निविदा दिलवाने के लिए दस्तावेजों में कूटरचना की गई। इस खेल में पापुनि के तत्कालीन महाप्रबंधक सुभाष मिश्रा, उप प्रबंधक मुद्रण टेक्नीशियन संजय पिल्ले सहित अन्य शामिल थे।

उक्त सभी की मिलीभगत से भिलाई के छत्तीसगढ़ पैकेज प्राइवेट लिमिटेड के मुद्रक नंद गुप्ता और प्रमोद एंड कंपनी के संचालक युगबोध अग्रवाल ने 2009-10 में दस्तावेजों में हेराफेरी कर अधिकारियों ने पुस्तक छपाई एवं मुद्रण का कार्य दोनों फर्म को दिया गया।

घोटाले के बाद 2013 में धोखाधड़ी, कूट रचना एवं अन्य धाराओं के तहत जुर्म दर्ज कर प्रकरण की जांच करने पर पता चला कि पापुनि के अधिकारियों ने मुद्रण कार्य के लिए जारी की गई निविदा में शर्तों का उल्लंघन करते हुए टेंडर जारी किया गया था। बता दें कि इस घोटाले में जोसेफ मिंज की गिरफ्तारी नहीं हुई है। प्रकरण दर्ज कर राज्य सरकार को पत्र लिखकर अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है।

इस तरह किया घोटाला

पाठ्य पुस्तक निगम ने एसईसीआरटी के निर्देश पर 2009-10 में रायपुर में एमजीएमएल कार्ड्स कक्षा तीसरी और चौथी के हिन्दी, गणित और पर्यावरण का 8000-8000 सेट मुद्रण कार्य में नियमों एवं निविदा की शर्तों का उल्लंघन किया गया। पापुनि द्वारा रायपुर के मेसर्स प्रबोध एण्ड कम्पनी को 3,82,89,600 रुपए और मेसर्स छत्तीसगढ़ पैकेजर्स भिलाई को पर्यावरण विषय के 8000 कार्ड्स सेट करने के लिए 2,04,15,040 रुपए का भुगतान किया गया। जबकि डाई कटिंग की राशि को छोड़कर पापुनि द्वारा केवल 1,83,95,440 रुपए का भुगतान मुद्रकों को किया जाना था। लेकिन अधिकारियों ने 4,03,09,200 रुपए का अधिक भुगतान मुद्रकों को किया।