
Chhattisgarh Naxal: जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद की समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आरएसएस के प्रचारक रहे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री राम माधव अब नक्सल समस्या के समाधान के लिए महती भूमिका निभाते दिखें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालांकि इस संबंध में भाजपा या संघ से कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले मिले हैं
लेकिन पिछले दिनों बस्तर के चित्रकोट में राम माधव की अगुवाई में 26 से 28 जुलाई तक आयोजित यंग थिंकर मीट के आयोजन के बाद बस्तर के सियासी हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नक्सलियों के खिलाफ एक वैचारिक मोर्चा शुरू होगा जिसे राम माधव लीड कर सकते हैं।
इस आयोजन में राम माधव, आरएसएस के सह कार्यवाह अतुल लिमये,आरएसएस के प्रांत प्रचारक अभयराम सहित देश भर के 90 से अधिक युवा चिंतक शामिल हुए थे। आयोजकों ने स्थानीय लोगों और मीडिया से दूरी बनाई हुई थी। कुछ खास लोगो में प्रदेश के वित्तमंत्री ओपी चौधरी,वन मंत्री केदार कश्यप के साथ ही वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशानिक अधिकारी ही इस आयोजन में शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक आयोजन में शामिल युवा विचारकों ने नक्सलवाद को लेकर चल रही पुलिस एवं प्रशासन की कवायद को समझने के लिए अफसरों के साथ विस्तार से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने नक्सलियों को मिल रहे सहयोग के बारे मेे जाना। ग्रामीणों से मिल रहे सहयोग के बारे में जानकार सदस्य चिंतित भी हुए। बताया गया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। शासन प्रशासन की मौजूदगी वहां तक कैसे हो?
इस पर सार्थक पहल की जरूरत है। देशभर से पहुंचे चिंतकों और शोधार्थियों ने कुछ नक्सल प्रभावित गावों का भ्रमण किया जहां उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत भी की। कुछ आत्मसमर्पित नक्सलियों और सुरक्षा बलों खासकर डीआरजी और बस्तर फाइटर के जवानों से भी मुलाकात कर बस्तर की जमीनी हकीकत को जानने का प्रयास किया। पड़ोसी प्रांत ओडिशा,आंध्रप्रदेश,तेलंगाना और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में नक्सलियों की स्थिति के बारे में भी जानने की कोशिश की गई।
एक प्रतिभागी ने बताया कि नक्सलियों के खात्मे के लिए जरूरी है कि उन पर सीधे वार करने के साथ साथ वैचारिक रूप से भी उनका काउंटर हो। वर्तमान दौर में माओवाद प्रासंगिक नहीं रह गया है फिर भी लोगो को भ्रमित करने यह अब भी कारगर है। नक्सली लुटेरें है सिर्फ यह कह देने मात्र से विचारधारा खत्म नहीं होगी बल्कि शासन को वैचारिक रूप से इसका काउंटर करना होगा।
इधर प्रदेश सरकार नक्सल समस्या के शांति पूर्ण समाधान के लिए नक्सलियों से शांति वार्ता के लिए आगे आने की अपील कर रही है पर यह प्रयास सफल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में क्या आरएसएस नेता अपने पुराने अनुभव के आधार पर नक्सल मोर्चे में शांति स्थापना की दिशा में कोई नई पहले करने जा रहे है। यह आने वाले कुछ समय के बाद स्पष्ट होगा।
Updated on:
30 Jul 2024 08:34 am
Published on:
30 Jul 2024 07:51 am
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