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Raipur: साहित्यकार दिव्य प्रकाश ने कहा- कहानियां खोजने से नहीं, जीने से मिलती हैं

छत्तीसगढ़ की राजधानी में रायपुर रीडर्स क्लब के आयोजन में किताबों के शौकीन, युवा लेखक और साहित्य प्रेमी जुटे...

Writer Divya Prakash

Raipur: हिंदी के लेखक दिव्य प्रकाश दुबे रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में थे। वे रायपुर रीडर्स क्लब के आयोजन में पाठकों, किताबों के शौकीन, युवा लेखक और साहित्य प्रेमियों से रूबरू हुए। दिव्य प्रकाश दुबे ने न केवल अपने लेखन के अनुभव साझा किए, बल्कि एक बेहद मजेदार कहानी सुनाकर श्रोताओं को ठहाकों में डुबो दिया। उन्होंने कहा कि लव स्टोरी वही लिख सकता है जिसकी खुद की कोई लव स्टोरी न हो। खालीपन ही असली ईंधन है।

जब बस में लड़की मिली और कहानी बन गई

साहित्यकार दिव्य प्रकाश दुबे ने बताया कि मैं बस में एक लड़की से मिला। बातचीत शुरू करने के लिए उसे चिप्स ऑफर किए। फिर उससे पूछा कि कैसे कॉन्टेक्ट कर सकता हूं? उसने हॉस्टल का नंबर दिया। वो नंबर कभी नहीं लगा। लेकिन उस मुलाकात से मुझे एक कहानी मिल गई। इसलिए मैं कहता हूं कि कहानियां खोजने से नहीं, जीने से मिलती हैं।

'अलग ढंग से देखना' जरूरी

दिव्य प्रकाश ने यह भी बताया कि एक लेखक के लिए लोगों को 'अलग ढंग से देखना' कितना जरूरी है।जिन्हें आप पहले से जानते हैं, उनके बारे में अलग तरह से लिख पाना बहुत कठिन होता है। उन्होंने युवाओं को यह सीख दी कि लिखने के लिए पहले से पूरी कहानी जानने की जरूरत नहीं होती जैसे जंगल में पूरी राह नहीं दिखती, वैसे ही कहानियां भी चलते-चलते बनती हैं। कहानी की रचना प्रक्रिया पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, दिसम्बर जंक्शन के आखिरी चार पन्ने मैंने पहले लिखे थे, फिर बाकी कहानी गढ़ी। कार्यक्रम में श्रोताओं ने उनसे कई दिलचस्प सवाल पूछे, जिनका उन्होंने पूरी ईमानदारी और हंसमुख अंदाज में उत्तर दिया। आयोजन को सफल बनाने में क्लब के सक्रिय सदस्य अक्षत लाखे और तुषार पटेल की भूमिका रही। कार्यक्रम के अंत में बुक साइनिंग सेशन आयोजित किया गया, जिसमें पाठकों ने अपनी पसंदीदा किताबों पर लेखक से हस्ताक्षर करवाए और उनसे व्यक्तिगत मुलाकात की।

ये बातें याद रखना

1.सोशल मीडिया के 150 लाइक्स से लेखक मत बनो

2.कहानी तब तक मत पब्लिश करो, जब तक खुद पढऩे का मन न करे

3.जब तारीफ न मिले, तब भी लिखते रहो

4.अच्छी कहानी में रचना से ज्यादा अनुभव का असर होता है