CG News: राजधानी, एम्स व आंबेडकर अस्पताल के आसपास कुछ मेडिकल स्टोर वाले जेनेरिक दवाओं को ब्रांडेड बताकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। चूंकि जेनेरिक दवाओं की विशिष्ट कोई पहचान नहीं है इसलिए आम मरीज व जनता ठगे जा रहे हैं।
दरअसल, लोग जब वही ब्रांड व उसी नाम की दवा रेडक्रॉस व धनवंतरि मेडिकल स्टोर से खरीदते हैं, तब उन्हें ठगी का एहसास होता है। रेडक्रॉस व धनवंतरि मेडिकल में 60 से 72 फीसदी छूट पर जेनेरिक दवा बेची जा रही है। वहीं ब्रांडेड दवाओं में 10 से 15 फीसदी छूट दी जा रही है। कई मेडिकल स्टोर संचालक अब जेनेरिक व ब्रांडेड दवाइयां एक ही दुकान पर रख रहे हैं।
इससे ग्राहक को गुमराह करने में उन्हें मदद मिल रही है। ग्राहक ये समझ ही नहीं पाता कि उन्हें दी गई दवाइयां जेनेरिक हैं या ब्रांडेड। पत्रिका जेनेरिक व ब्रांडेड दवाओं की क्वॉलिटी पर सवाल नहीं उठा रहा है, बल्कि यहां मुद्दा मुनाफाखोरी का है। दरअसल ब्रांडेड दवाओं को कई दुकानदार प्रिंट मूल्य पर बेच रहे हैं। अगर 10 से 15 फीसदी छूट भी दे रहे हैं तो जेनेरिक दवा देने से लोगों को नुकसान हो रहा है।
जेनेरिक हो ब्रांडेड दवाएं, क्वालिटी में कोई अंतर नहीं होता। अब तो देश की बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनियां जेनेरिक दवाएं बना रही हैं। ये अलग बात है कि कुछ बीमारी विशेष में अब भी जेनेरिक दवाइयां नहीं आ रही हैं। हालांकि एमआरपी में काफी छूट के साथ ये दवाइयां अस्पतालों में बेची जाती है, लेकिन इसका लाभ मरीजों को कम मिलता है। - डॉ. सीके शुक्ला, रिटायर्ड डीन नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर
पत्रिका रिपोर्टर ने एक जानी-मानी कंपनी की 10 टेबलेट 72 फीसदी छूट के बाद 40 रुपए में धनवंतरि मेडिकल स्टोर से खरीदी। वहीं एक अन्य मेडिकल स्टोर में 15 फीसदी छूट के बाद यह दवा 120 रुपए में मिली। आपत्ति करने के बाद दुकानदार ने यह कहा कि उन्हें इससे कम रेट में नहीं पड़ेगा। जब उन्हें बताया गया कि ये जेनेरिक दवा है इसलिए धनवंतरि में 72 फीसदी छूट में मिल रही है, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था। इसलिए हम कह रहे हैं कि आम जनता ठगी जा रही है।
Published on:
08 Aug 2025 09:32 am